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प्रस्तुत पुस्तक में अपभ्रंश भाषा की संरचना का एक ढाँचा वर्णित है। संज्ञा, सर्वनाम के रूपों, क्रियारूपों, कृदन्तों आदि की रचना सरल ढंग से समझाई गई है। प्रतीत होता है कि पुस्तक अपभ्रंश के प्रारंभिक छात्रों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है।
हिन्दी जगत को आपने ऐसी कृति से समृद्ध किया है, इसके लिए हिन्दी भाषी जनसमुदाय, हिन्दी-अध्यापक और विद्यार्थी आपके चिरकृतज्ञ रहेंगे।
डॉ. आनन्द. मंगल वाजपेयी वरिष्ट फेलो (इंडोलोजी)
संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार :
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प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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