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________________ 5. अन्य रूप - अन्नाण, अन्नाणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) इम (यह) (पु.) (इम+एसिं) = इमेसिं (षष्ठी बहुवचन) अन्य रूप - इमाण, इमाणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) एत (यह) (पु.) (एत+एसिं) = एतेसिं (षष्ठी बहुवचन) अन्य रूप - एताण, एताणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) त (वह) (पु.) (त+एसिं) = तेसिं (षष्ठी बहुवचन) अन्य रूप - ताण, ताणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) ज (जो) (पु.) (ज+एसिं) = जेसिं (षष्ठी बहुवचन) अन्य रूप - जाण, जाणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) क (कौन) (पु.) (क+एसिं) = केसिं (षष्ठी बहुवचन) अन्य रूप - काण, काणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) नोट- हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार आकारान्त स्त्रीलिंग सव्वादि सर्वनामों के षष्ठी विभक्ति बहुवचन में भी विकल्प से 'एसिं' प्रत्यय जोड़ा जाता है। . जैसे - सव्वा (सब) (पु.) (सव्वा + एसिं) = सव्वेसिं ( षष्ठी बहुवचन) अन्य रूप - सव्वाण, सव्वाणं (स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द कहा के अनुसार) नोट - इसी प्रकार अन्य रूपों में भी बना लेने चाहिए। अकारान्त सर्वनाम (पु.) षष्ठी बहुवचन 6/2 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग क और त सर्वनामों के षष्ठी विभक्ति बहुवचन में विकल्प से 'आस' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे क (कौन) (पु.) (क+आस = कास (षष्ठी बहुवचन) अन्यं रूप - केसिं त (वह) (पु.) (त+आस = तास (षष्ठी बहुवचन) अन्य रूप - तेसिं प्राकृत-हिन्दी व्याकरण (भाग - 1 ) Jain Education International For Personal & Private Use Only (51) www.jainelibrary.org
SR No.004204
Book TitlePrakrit Hindi Vyakaran Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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