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क्रोध पर नियंत्रण
एक जेन शिष्य ने अपने गुरु से पूछा मैं मुझे इससे छुटकारा दिलाएं। "
बहु
-
गुरु ने कहाकहा - "यह तो
शिष्य बोला "अभी तो मैं यह नहीं कर सकता।"
जल्दी क्रोधित हो जाता हूँ। कृपया
"यह तो बहुत विचित्र बात है। मुझे क्रोधित होकर दिखाओ।"
"क्यों?" - गुरु बोले ।
शिष्य ने उत्तर दिया "यह अचानक होता है।"
"ऐसा है तो यह तुम्हारी प्रकृति नहीं है। यदि यह तुम्हारे स्वभाव का अंग होता तो तुम मुझे यह किसी भी समय दिखा सकते थे तुम किसी ऐसी चीज़ को स्वयं पर हावी क्यों होने देते हो जो तुम्हारी है ही नहीं ? " - गुरु ने कहा ।
इस वार्तालाप के बाद शिष्य को जब कभी क्रोध आने लगता तो वह गुरु के शब्द याद करता। इस प्रकार उसने शांत और संयमित व्यवहार को अपना लिया।
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