________________
नागार्जुन और चोर
महान बौद्ध संत नागार्जुन के पास संपत्ति के नाम पर केवल पहनने के वस्त्र थे। उनके प्रति अपार श्रद्धा प्रर्दशित करने के लिए एक राजा ने उनको सोने का एक भिक्षापात्र दे दिया।
एक रात जब नागार्जुन एक मठ के खंडहरों में विश्राम करने के लिए लेटने लगे तब उन्होंने एक चोर को एक दीवार के पीछे से झांकते हुए देख लिया। उन्होंने चोर को वह भिक्षापात्र देते हुए कहा - "इसे रख लो। अब तुम मुझे आराम से सो लेने दोगे।"
चोर ने उनके हाथ से भिक्षापात्र ले लिया और चलता बना। दूसरे दिन वह भिक्षापात्र वापस देने आया और नागार्जुन से बोला - "जब आपने रात को यह भिक्षापात्र मुझे यूँ ही दे दिया तब मुझे अपनी निर्धनता का बोध हुआ। कृपया मुझे ज्ञान की वह संपत्ति दें जिसके सामने ऐसी सभी वस्तुएं तुच्छ प्रतीत होती हैं।"
.