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मनहूस पेड़
एक आदमी के बगीचे में एक पेड़ था। बगीचा छोटा था और पेड़ ने उसे पूरी तरह से ढंक रखा था। एक दिन आदमी के पड़ोसी ने उससे कहा - "ऐसे पेड़ मनहूस होते हैं। तुम्हें इसे काट देना चाहिए।" आदमी ने पेड़ को काट दिया और उसके जलावन के लठे बना दिए। लठे इतने ज्यादा थे कि पूरा बगीचा उनसे भर गया। बगीचे के पौधे और फूल लठ्ठों के नीचे दबकर ख़राब होने लगे। आदमी के पड़ोसी ने उससे कहा - "इन लट्ठों को मैं ले लेता हूँ ताकि तुम्हारे पौधे और फूल सही-सलामत रहें।"
कुछ दिनों के बाद आदमी के मन में विचार आया - "शायद मेरा पेड़ मनहूस नहीं था। जलावन की लकड़ी के लालच में आकर पड़ोसी ने मेरा अच्छा-भला पेड़ कटवा दिया।" - वह लाओ-त्जु के पास इस बारे में राय लेने के लिए गया। लाओ-त्जु ने मुस्कुराते हुए कहा - "जैसा कि तुम्हारे पड़ोसी ने कहा था, वह पेड़ वास्तव में मनहूस था क्योंकि उसे अब काटकर जलाया जा चुका है। यह उस पेड़ का दुर्भाग्य ही था कि वह तुम जैसे मूर्ख के बगीचे में लगा था।"
यह सुनकर आदमी बहुत दुखी हो गया। लाओ-त्जु ने उसे सांत्वना देते हुए कहा - "अच्छी बात यह है कि तुम अब उतने मूर्ख नहीं हो; तुमने पेड़ को तो खो दिया लेकिन एक कीमती सबक सीख लिया है। इस बात को हमेशा ध्यान में रखना कि जब तक तुम स्वयं अपनी समझ पर भरोसा न कर लो तब तक किसी दूसरे की सलाह नहीं मानना।"
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