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शिष्य बोला
"इस जीवन और संसार में केवल दुःख ही है जितना अधिक जीवित
रहूँगा उतना अधिक दुःख देखना पड़ेगा। जीवन से मुक्ति के लिए आत्महत्या करना तो महापाप
है। यदि कोई जीवन से ऐसे ही छुटकारा दिला दे तो उसका भी उपकार मानूंगा।"
शिष्य के यह वचन सुनकर बुद्ध को अपार संतोष हुआ ये बोले तुम धन्य हो । केवल
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तुम ही सच्चे साधु हो । सच्चा साधु किसी भी दशा में दूसरे को में बुराई नहीं देखता वही सच्चा परिव्राजक होने के योग्य है।
चलोगे।"
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बुरा नहीं समझता। जो दूसरों तुम सदैव धर्म के मार्ग पर