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तफ़ान में मछुआरे
बहुत पुरानी बात है। समुद्र के किनारे मछुआरों का एक गाँव था। एक शाम सभी मछुआरे अपनी-अपनी नावें लेकर मछली पकड़ने के लिए समुद्र में चले गए। जब रात गहराने लगी तब एक शक्तिशाली तूफ़ान घिर आया। मछुआरों की नावें अपना रास्ता भटक गयीं और समुद्र में यहाँ-वहां बिखर गयीं।
उधर गाँव में मछुआरों की पत्नियाँ, माएं, और उनके बच्चे समुद्रतट पर आ गए और ईश्वर से उनके परिजनों को बचाने के लिए प्रार्थना करने लगे। वे सभी बड़े दुखी थे और रो रहे थे।
तभी एक दूसरा संकट आ पड़ा। एक मछुआरे की झोपड़ी में आग लग गई। चूंकि गाँव के सभी पुरूष मछली पकड़ने गए थे इसलिए कोई भी आग नहीं बुझा पाया।
जब सुबह हुई तब सबकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि सभी मछुआरों की नावें सुरक्षित तट पर लग गयीं थीं। कोई भी दुखी नहीं था पर जिस मछुआरे के घर में आग लग गई थी उसकी पत्नी ने अपने पति से मिलने पर उससे कहा - "हम बरबाद हो गए! हमारा घर और सारा सामान आग में जलकर राख हो गया!"
लेकिन उसका पति हंसकर बोला - "ईश्वर को उस आग के लिए धन्यवाद दो! रात में जलती हुई झोपडी को देखकर ही तो हम सभी अपनी नावे किनारे पर लगा पाए!"
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