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बंधी मुठठी - खुली मुठी
ज़ेन गुरु मोकुसेन हिकी के एक शिष्य ने एक दिन उनसे कहा की वह अपनी पत्नी के कंजूसी भरे स्वभाव के कारण बहुत परेशान था।
मोकसेन उस शिष्य के घर गए और उसकी पत्नी के चहरे के सामने अपनी बंधी मुठ्ठी घुमाई।
"इसका क्या मतलब है? - शिष्य की पत्नी ने आश्चर्य से पूछा।
"मान लो मेरी मुट्ठी हमेशा इसी तरह कसी रहे तो तुम इसे क्या कहोगी?" - मोकुसेन
ने पूछा।
"मुझे लगेगा जैसे इसे लकवा मार गया है" - वह बोली।
मोक्सेन ने अपनी मुठठी खोलकर अपनी हथेली पूरी तरह कसकर फैला दी और बोले - "और अगर यह हथेली हमेशा इसी तरह फैली रहे तो! इसे क्या कहोगी?"
"यह भी एक तरह का लकवा ही है!" - वह बोली।
"अगर तुम इतना समझ सकती हो तो तुम अच्छी पत्नी हो" - यह कहकर मोकुसेन वहां से चले गए।
वह महिला वाकई इतनी समझदार तो थी। उसने अपने पति को फ़िर कभी शिकायत का मौका नहीं दिया।
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