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तभी उसे एक आवाज़ सुनाई दी। - "आओ प्रेम, मेरा हाथ थाम लो, मेरे साथ चलो!" यह किसी बड़े की आवाज़ थी ।
बचने की प्रसन्नता में प्रेम इतनी सुध-बुध खो बैठा कि उसने बचानेवाले का नाम भी न पूछा। यह भी न पूछा कि वे कहाँ जा रहे थे। जब वे सूखी धरती पर आ पहुंचे तब बचानेवाला अपनी राह चला गया।
प्रेम उसका बहुत ऋणी था। उसने ज्ञान से पूछा
ज्ञान ने कहा "उसका नाम समय है" ।
"समय"
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प्रेम ने आश्चर्य से पूछा- "उसने मुझे क्यों बचाया?"
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"मुझे किसने बचाया?"
ज्ञान ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया "क्योंकि समय ही यह जानता है कि प्रेम कितना मूल्यवान है।"
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