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ईश्वर की खोज
एक सन्यासी नदी के किनारे ध्यानमग्न था। एक युवक ने उससे कहा - "गुरुदेव, मैं आपका शिष्य बनना चाहता हूँ"।
सन्यासी ने पूछा - "क्यों?"
युवक ने एक पल के लिए सोचा, फ़िर वह बोला - "क्योंकि मैं ईश्वर को पाना चाहता
Theo
सन्यासी ने उछलकर उसे गिरेबान से पकड़ लिया और उसका सर नदी में डुबो दिया। युवक स्वयं को बचाने के लिए छटपटाता रहा पर सन्यासी की पकड़ बहुत मज़बूत थी। कुछ देर उसका सर पानी में इबाये रखने के बाद सन्यासी ने उसे छोड़ दिया। युवक ने पानी से सर बाहर निकाल लिया। वह खांसते-खांसते किसी तरह अपनी साँस पर काबू पा सका। जब वह कुछ सामान्य हुआ तो सन्यासी ने उससे पूछा - "मुझे बताओ कि जब तुम्हारा सर पानी के भीतर था तब तुम्हें किस चीज़ की सबसे ज्यादा ज़रूरत महसूस हो रही थी?"
युवक ने कहा - "हवा"|
"अच्छा" - सन्यासी ने कहा - "अब तुम अपने घर जाओ और तभी वापस आना जब तुम्हें ईश्वर की भी उतनी ही ज़रूरत महसूस हो"।
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