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उपहार
रिओकान नामक एक ज़ेन गुरु एक पहाड़ी के तल पर स्थित एक छोटी सी कुटिया में रहते थे। उनका जीवन अत्यन्त सादगीपूर्ण था। एक शाम एक चोर उनकी कुटिया में चोरी करने की मंशा से घुसा।
रिओकान भी उसी समय वहां आ गए और उनहोंने चोर को पकड़ लिया। वे चोर से बो "तुम इतनी दूरी तय करके यहाँ आए हो। तुम्हें खाली हाथ नहीं जाना चाहिए... मैं तुम्हें अपने वख उपहार में देता हूँ।"
चोर किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया। उसने वस्त्र उठाये और चुपके से चला गया।
रियोकान कुटिया में नग्न बैठे आकाश में चाँद को देखते रहे। उनहोंने सोचा "बेचारा! काश मैं उसे यह सुंदर चाँद दे सकता।"
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