Book Title: Yoga kosha Part 1
Author(s): Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

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Page 12
________________ ( 11 ) प्रथम भाग स्व० मोहनलाल जी बाँठिया द्वारा संकलित एवं तैयार सामग्री का व्यवस्थित सम्पादित रूप है । बाँठिया जी इस काम को अधूरा छोड़कर स्वर्गवासी ( ई० २३-६-७६ ) हो गये ? किन्तु श्रीचन्दजी चोरड़िया ने अत्यन्त परिश्रम करके इसे तैयार किया है । इसमें भगवान् महावीर के च्यवन, गर्भ, जन्म, दीक्षा, केवल ज्ञान तथा परिनिर्वाण आदि का विस्तृत विवेचन है अर्थात् गर्भ से परिनिर्वाण तक जीवन वृत्त संकलित किया गया है । (५) वर्धमाम जीवन कोश - द्वितीय खण्ड- पंचम पुष्पः जो आपके सामने है । इसमें भगवान् महावीर के पूर्वभवों का विवेचन तो है ही । इसके अतिरिक्त इसमें भगवान् महावीर के पांचों कल्याणक, नाम एवं उपनाम, उनकी स्तुतियां, समवसरण, दिव्य ध्वनि, संघ विवरण, इन्द्रभृति आदि ग्यारह गणधर, आर्य चंदना का पृथक्-पृथक् विवरण आदि संकलित है । (६) वर्धमान जीवन कोश, तृतीय खंड पष्ठम पुष्प - इसमें भगवान् महावीर के चतुर्विध धर्मसंघकी स्थापना, समकालीन राजा, प्रत्येक बुद्ध साधु, निदान, निह्नबवाद आदि का प्रमाण सहित विवेचन है । सर्वज्ञ अवस्था के भगवान के विहार स्थल, देवों का आगमन, पार्श्वपत्यीय अणगार आदि का विस्तृत विवेचन है । (७) योग कोश, प्रथम खण्ड, सप्तम पुष्प - इसमें चार मनके मोग, चार वचनके योग तथा सात काय के योग- इस प्रकार पन्द्रह योगों का सविस्तृत विवेचन है। योग की व्युत्पत्ति-ससमास, सविशेषण - सप्रत्यय आदि विशेषण सहित योग की परिभाषा भी उपलब्ध है । किस किस जीव में कितने-कितने योग होते हैं । इनका भी अलग-अलग उल्लेख है । इस प्रकार जैन दर्शन समिति के द्वारा सैकड़ों विषय पर कोश संकलन कार्य हुआ है । कोशों के सम्बन्ध में भारत उच्चकोटि के विद्वानों ने मुक्त कंठ से सराहना की है। इनमें मुख्य रूप से- (१) स्व० प्रज्ञाचक्षु पंडित सुखलालजी संघवी (२) स्व० आदिनाथ नेमीनाथ उपाध्याय (३) स्व० ज्योतिप्रसाद जैन (४) युगप्रधान आचार्य श्री तुलसी (५) गणेश ललवानी (६) डा० सत्यरंजन बनर्जी (७) डा० राजाराम जैन (८) प्रो० दलसुखभाई मालबणिया (६) स्व० डा० सुनीतिकुमार चटर्जी (१०) पद्मनाथ जैन U,S.A. (११) जिनेश मुनि, शास्त्री (१२) प्रो० डा० Alsdrof Humburg आदि के नाम उल्लेखनीय है । इस प्रकार दशमलव प्रणाली के आधार पर करीब १००० विषयों पर आगम तथा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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