Book Title: Vyakhyapragnapti Sutra
Author(s): Abhaydevsuri
Publisher: ZZZ Unknown
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व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः ॥५३९॥
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७ शतके उद्देशः २ प्रत्याख्यान भेदाः सू०२७१
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'एकान्तवाल' सर्वथा बालिशोऽज्ञ इत्यर्थः ॥ प्रत्याख्यानाधिकारादेव तद्भेदानाह
कतिविहे णं भंते ! पच्चक्खाणे पन्नत्ते ?, गोयमा! दुविहे पच्चक्खाणे पन्नत्ते, तंजहा-मूलगुणपच्चक्खाणे य | उत्तरगुणपच्चक्खाणे य । मूलगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सव्वमूलगुणपच्चक्खाणे य देसमूलगुणपञ्चक्खाणे य, सव्वमूलगुणपञ्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्त ?, गोयमा! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-सब्बाओ पाणाइवायाओ वेरमणं जाव सब्बाओ परिग्गहाओ चेरमणं । देसमूलगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कइविहे पन्नत्त, गोयमा ! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-धुलाओ पाणाइवायाओ वेरमणं जाव धुलाओ परिग्गहाओ वेरमणं। उत्तरगुणपञ्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्त, गोयमा! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सवुत्तरगुणपञ्चखाणे य देसुत्तरगुणपञ्चक्खाणे य, सव्वुत्तरगुणपञ्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्त ?, गोयमा! दसविहे पन्नत्त, तंजहा-अणागय १ मइकंतं २ कोडीसहियं ३ नियंटियं ४ चेव । सागार ५ मणागारं ६ परिमाणकडं ७ निरवसेस ८ ॥५४॥ साकेयं ९ चेव अद्धाए १० पच्चक्खाणं भवे दमहा । देसुत्तरगुणपच्चखाणे णं भंते ! कइविहे पन्नते ?, गोयमा ! सत्तविहे पन्नत्ते, तंजहा-दिसिव्वयं १ उवभोगपरीभोगपरिमाणं २ अनत्यदंडवेरमणं ३ सा गइयं ४ देसावगासियं ५ पोसहोववासो ६अतिहिसंविभागो ७ अपच्छिममारणंतियसंलेहणाझूसणाराहणता (सूत्र २७१)॥
'कतिविहे' णमित्यादि, 'मूलगुणपञ्चक्खाणे यति चारित्रकल्पवृक्षस्य मूलकल्पा गुणाः-प्राणातिपातविरमणादयो
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आ०२९५ |॥५३९॥

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