Book Title: Vyakhyapragnapti Sutra
Author(s): Abhaydevsuri
Publisher: ZZZ Unknown
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व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः ॥५६६॥
शतके उमेशः ७ संवृतस्यर्या| पथिकी| कामभोग विचारः सू०२८९
कामा । जीवाणं भंते ! कामा अजीवाणं कामा?, गोयमा! जीवाणं कामा, नो अजीवाणं कामा, कतिविहा णं भंते ! कामा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा कामा पन्नत्ता, तंजहा-सहा य रूवा य । रूवी भंते ! भोगा अरूवी भोगा?, गोयमा! रूवी भोगा, नो अरूवी भोगा, सचित्ता भंते ! भोगा अचित्ता भोगा?,
" गोयमा! सचित्तावि भोगा, अचित्तावि भोगा, जीवा णं भंते ! भोगा ? पुच्छा, गोयमा ! जीवावि भोगा, अजीवावि भोगा, जीवाणं भंते! भोगा अजीवाणं भोगा?, गोयमा ! जीवाणं भोगा, नो अजीवाणं भोगा, कतिविहा णं भंते ! भोगा पन्नत्ता, गोयमा ! तिविहा भोगा पन्नत्ता, तंजहा-गंधा रसा फासा । कतिवि- हा भंते ! कामभोगा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा कामभोगा पन्नत्ता, तंजहा-सदा रूवा गंधा रसा फासा । जीवा णं भंते ! किं कामी भोगी?, गोयमा! जीवा कामीवि भोगीवि, से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जीवा कामीवि भोगीवि ?, गोयमा ! सोइंदियचक्खिदियाई पडुच्च कामी, घाणिदियजिभिदियफासिंदियाई पडुच्च भोगी, से तेणटेणं गोयमा ! जाव भोगीवि । नेरइया णं भेते ! किं कामी भोगी ?, एवं चेव, एवं जाव थणियकुमारा । पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा! पुढविकाइया नो कामी, भोगी, से केणटेणं जाव | भोगी?, गोयमा ! फासिंदियं पडुच्च, से तेणटेणं जाव भोगी, एवं जाव वणस्सइकाइया, बेइंदिया एवं चेव, नवरं जिभिदियफासिंदियाई पडुच्च भोगी,तेइंदियावि एवं चेव, नवरं घाणिदियजिभिदियफासिंदियाई पडुच्च
पडच भोगी, चउरिदियाणं पुच्छा, गोयमा ! चरिंदिया कामीवि भोगीवि, से केणटेणं जाव भोगीवि, गोयमा।
॥५६६॥

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