Book Title: Vyakhyapragnapti Sutra
Author(s): Abhaydevsuri
Publisher: ZZZ Unknown
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व्याख्या
प्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः ॥५८७॥
|ण्हित्ता रहं परावत्तइ रहं परावत्तित्ता रहमुसलाओ संगामाओ पडि निक्खमतिरएगंतमंतं अवकमइ एगंतमंतं
अवक्कमित्ता तुरए निगिण्हइ २त्ता रहं ठवेड २त्ता रहाओ पञ्चोरुहइ रहाओ २ रहाओ तुरए मोएइ तुरए मोएत्ता ७ शतके तुरए विसजेइ २त्ता (ग्रन्थ ४०००)२ दब्भसंथारगं संथरई २ (पुरच्छाभिमुहे दुरूहइ दन्भसं० २)
उद्देशः ९
स्थमुशल पुरच्छाभिमुहे संपलियकनिसन्ने करयल जाव कह एवं वयासी-नमोत्थु णं अरिहंताणं जाव संपत्ताणं,
संग्राम: | नमोत्थु णं समणस्म भगवओ महावीरस्स आइगरस्स जाव संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्म धम्मो- ०३०२ वदेसगस्स, वंदामि गं भगवन्तं तत्थगयं इहगए, पासउ मे से भगवं तत्थगए जाव वंदति नमसति २ एवं व-13 यासी-पुस्विपि मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए थूलए पाणातिवाए पचखाए जावजीवाए एवं जाव थूलए परिग्गहे पच्चखाए जायजीवाए, इघाणिंपिणं अरिहंतस्सेव भगवओ महावीरस्स अंतियं सव्वं पाणातिवायं पञ्चवामि जावज्जीवाए एवं जहा खंदओ जाव एयंपिणं चरमेहिं ऊसासनीसासेहिं वोसिरिस्सामित्तिकहु सन्नाहपढें मुयइ सन्नाहपट्ट मुइत्ता मल्लुद्धरणं करेति सल्लुद्धरणं करेत्ता आलोइयपडि कते समाहिपत्ते आणुपुवीए कालगए । तए णं तस्स वरुणस्स णागनत्तुयस्स एगे पियबालवयंसए रहमुसलं संगाम संगामेमाणे एगेणे पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे अत्थामे अबले जाव अधारणिजमितिकटु वरुणं णागन| नयं रहमुसलाओ संगामाओ पडिनिक्खममाणं पासइ पासइत्ता तुरए निगिण्हइ तुरए निगिण्हित्ता जहा
है ॥५८७॥ वरुणे जाव तुरए विसज्जेति पडसंधारगं दुरूहइ पडसंथारगं दुरूहित्ता पुरत्थाभिमुहे जाव अंजलिं कह

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