Book Title: Vyakhyapragnapti Sutra
Author(s): Abhaydevsuri
Publisher: ZZZ Unknown
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. णो तिणढे समढे, से केणतुणं भंते ! एवं वुचइ जाव नो तं वेदेति ?, गोयमा ! कम्भ वेदेति नोकम्मं निजरेंति, व्याख्या
से तेणद्वेण गोयमा ! जाव नो तं वेदेति, एवं नेरइयावि जाव वेमाणिया। से नूणं भंते ! जं वेदिस्संति तं | ७ शतके प्रज्ञप्तिः निजरिस्संति जं निजरिस्संति तं वेदिस्संति ?, गोयमा ! णो तिणढे समढे, से केणट्टेणं जाव णो तं वेदे
उदेशः३ अभयदेवी-1
वेदनानिर्जस्संति ?, गोयमा ! कम्मं वेदिस्संति नोकम्मं निजरिस्संति, से तेणटेणं जाव नो तं निजरिस्संति, एवं नेरया वृत्तिः
राविचारः इयावि जाव वैमाणिया। से गृणं भंते ! जे वेदणासमए से निजरासमए जे निजरासमए से वेदणासमए ?,
सू० २७८ ॥५५०॥
नो तिणढे समढे, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जे वेयणासमए न से निजरासमए जे निजरासमए न से वेदणासमए ?, गोयमा ! जं समयं वेदेति नो तं समयं निजरेंति, जं समयं निजरेंति नो तं समयं वेदेति, अन्नम्मि समए वेदेति अन्नम्मि समए निजरेंति, अन्ने से वदणासमए अन्ने से निजरासमए, से तेणटेणं जाव ४०आ०३०१ न से वेदणासमए न से निजरासमए। नेरइयाणं भंते! जे वेदणासमए से निजरासमए जे निजरासमए से वेदणासमए ?, गोयमा ! णो तिणढे समढे, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ नेरइयाणं जे वेदणासमए न से निजरासमए जे निजरासमए न से वेदणासमए ?, गोयमा ! नेरइया णं जं समयं वेदेति णो तं समयं निजरेंति जं समयं निजरंति नो तं समयं वेदेति अन्नम्मि समए वेदेति अन्नम्मि समए निजरेंति अन्ने से वेदणासमए अन्ने से निजरासमए, सेणटेणं जाव न से वेदणासमए एवं जाव वेमाणिया ।। (सूत्र २७८)॥
॥५५०॥ 'कम्मं वेयण'त्ति उदयं प्राप्तं कर्म वेदना धर्मधामणोरभेदविवक्षणात् , 'नोकम्मं निजरेति काभावो निर्जरा तस्या
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