Book Title: Vyakhyapragnapti Sutra
Author(s): Abhaydevsuri
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
७ शतके उमेशः३ | वनस्पत्तेरल्पाहारत्वादि सू० २७३ २७४.
सया, से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुचह-जाव सिय असासया । नेरइया णं भंते! किं सासया असासया?, व्याख्या
एवं जहा जीवा तहा नेरइयावि, एवं जाव वेमाणिया जाव सिय सासया सिय असासया। सेवं भंते ! प्रज्ञप्तिः
सेवं भंते ! ॥ (सूत्रं २७३) ॥ सत्तमस्स सयस्स बिइओ उद्देसो संमत्तो॥७-२॥ अभयदेवी
'दब्वट्ठयाए'त्ति जीवद्रव्यत्वेनेत्यर्थः 'भावढयाए'त्ति नारकादिपर्यायत्वेनेत्यर्थः ॥ सप्तमशते द्वितीयोद्देशकः ॥७-२॥ या वृत्तिः ॥५४६॥
जीवाधिकारप्रतिबद्ध एव तृतीयोद्देशकस्तत्सूत्रम्
घणस्सइकाइया णं भंते ! किंकालं सव्वप्पाहारगा वा सव्वमहाहारगा वा भवंति ?, गोयमा ! पाउसवरिभसारत्तेसु णं एत्थ णं वणस्सइकाइया सव्वमहाहारगा भवंति, तदाणंतरं च णं सरए तयाणंतरं हेमंते तदा
णनरं च णं वसंते तदाणंतरं च णं गिम्हे, गिम्हासु णं वणस्सइकाइया सव्वप्पाहारगा भवंति, जइ णं भंते! गिम्हासु वणस्सइकाइया सब्बप्पाहारगा भवंति कम्हा णं भंते ! गिम्हासु बहवेवणस्सइकाइया पत्तिया पुफिया फलिया हरियगरेरिजमाणा सिरीए अईव अईव उवसोभेमाणा उवसोभेमाणा चिट्ठति ?, गोयमा ! गिम्हा|सु णं बहवे उसिणजोणिया जीवा य पोग्गला य वणस्तइकाइयत्ताए वकमंति विउक्कमति चयंति उववजंति, एवं खलु गोयमा ! गिम्हासु बहवे वणस्सइकाइया पत्तिया पुफिया जाव चिट्ठति । (सूत्रं २७४) से नूर्ण भंते ! मूला मूलजीवफुडा कंदा कंदजीवफुढा जाव बीया बीयजीवफुडा , हंता गोयमा ! मूला मूलजीवफुडा
प्र००२९९
| ॥५४६॥

Page Navigation
1 ... 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367