Book Title: Vichar Ratnakar
Author(s): Kirtivijay, Dansuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 319
________________ पडिमा ५ । अहावरा बहावामाण जहन्नेणं एगाहं वा दुयाहं वा EिS मउलियडे दियाभयारी रात Nणो सम्म अणुपालइत्ता भवति, चउत्था उवासगपडिमा ४ | अहावरा पंचमा उवासगपडिमा सम्बधम्मरुईयावि भवति जाव से णं एगरातिय उवासगपडिम सम्म अणुपालइत्ता भवति से णं असिणाणए वियडभोई मउलियडे दियाभयारी रति परिमाणकडे से णं एतारूवेणं विहारेणं विहरणमाणे जहन्नेणं एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा उक्कोसेणं पंच मासे विहरेजा, पंचमा उवासगपडिमा ५। अहावरा छट्ठा उवासगपडिमा सव्वधम्मरुईयावि भवति जाव से णं एगरातियं उवासगपडिमं सम्म अणुपालइत्ता भवति से णं असिणाणवियडभोई मउलियडे रातोवरायं बंभयारी सचित्ताहारे से अपरिष्माते भवति से गं एतारूवेणं विहारेणं विहरमाणे जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा उकोसेणं छम्मासे विहरेजा, छट्ठा उवासगपडिमा ।। अहावरा सत्तमा उवासगपडिमा सव्वधम्मरुईयावि भवति जाव रायोवरायं बंभयारी सञ्चित्ताहारे से परिपाते भवति से थे | एतारूवेणं विहारेणं विहरमाणे जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा उक्कोसेणं सत्तमासे विहरेजा, सत्तमा उवासगपडिमा७। अहावरा अट्ठमा उवासगपडिमा सम्बधम्मरुईयावि भवति जाव रातोवरातं बंभयारी भवति सञ्चिताहारे से परिपाते भवति आरंभे से परिमाते भवति पेस्सा से अपरिमाते भवति से णं एतारूवेणं विहारेणं विहरमाणे जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा उकोसेणं अट्ठमासे विहरेजा, अट्ठमा उवासगपडिमा ८। अहावरा णवमा उवासगपडिमा सव्वधम्मरुईयावि भवइ जाव आरंभे से परिपाते भवति पेस्सा से परिमाता भवति उद्दिभचे से अपरिमाते भवति से मं एतारूवेणं | विहारेणं विहरमाणे जाव एगाहं वा दुयाई वा तियाहं वा उक्कोसेणं णवमासे विहरेजा, णवमा उवासगपडिमा ९। अहावरा दसमा उवासगपडिमा सव्वधम्मरुईयावि भवति पेस्सा से परिमाता भवति उद्दिट्ठभत्ते से परिमाते भवति से णं खुरमुंडे Jan Education Inte For Private Personal use only Arww.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416