Book Title: Vichar Ratnakar
Author(s): Kirtivijay, Dansuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 318
________________ विचार अनमगाधिराजयुवा रत्नाकरः स्वरूप लिख्यादी सम्मावादी ॥१५३॥ व बलदेवा' ॥ यददनकन्दरोदरसमुत्थितः श्रुतमृगाधिराजयुवा । व्यापादयति भवद्विपमुन्मत् स जयवागणभृत् ॥१॥ अथ श्रीदशाश्रुतस्कन्धविचारा यथा-तत्र च श्रावकप्रतिमास्वरूपं लिख्यते से किं तं किरियावादीयावि भवति तंजहा-आहियवादी आहियपछे माहियदिट्ठी सम्मावादी गियावादी पत्थि परलोगवादी अत्थि इह लोए अत्थि परलोगे अस्थि माता अस्थि पिता अस्थि अरहंता अस्थि चक्कवट्टी अत्थि बलदेवा अस्थि वासुदेवा अत्थि सुकडदुक्कडाणं फलवित्तिविसेसे सुचिमा कम्मा सुचिमफला भवंति दुञ्चिमा कम्मा दुच्चिामफला भवंति | सफले कल्लाणपावए पञ्चायांति जीवा अस्थि णिरया अस्थि देवा अस्थि सिद्धा से एवं वादी एवं परमे एवं दिट्ठी छंदरागमतिणिविट्ठयावि भवति से भवति महिच्छे जाव उत्तरगामिए नेरइए सुक्कपक्खिए आगमेस्साणं सुलभबोधिएयावि भवति, से तं किरियावादी, सम्बधम्मरुईयावि भवइ, तस्स णं बहूणि सीलव्वयगुणविरमणपञ्चक्खाणपोसहोववासाई यो सम्म पट्ठविताई भवंति पढमा उवासगपडिमा १ । अहावरा दोच्चा उवासगपडिमा सव्वधम्मरुईयावि भवति, तस्स गं बहुणि सीलब्धय जाव पट्ठविताई भवंति से णं सामाइयं देसावगासियं णो सम्म अणुपालिचा भवति दोचा उवासगपडिमा २। अहावरा तच्चा उवासगपडिमा सवधम्मरुईयावि भवइ तस्स णं बहूई सील जाव सम्म पढविताई भवंति सेणं सामाइयं देसावगासियं सम्मं अणुपालइत्ता भवति से णं चाउद्दसमुदिट्टपुषिमासिणीसु पडिपुण्णं पोसह णो सम्म अणुपालेचा भवति, तच्चा उवासगपडिमा ३। सव्वधम्मरुईयावि भवइ तस्स णं बहूई सीलव्वयजाव सम्मं पट्टवियाई भवंति से गं सामाइयदेसावगासियं सम्म अणुपालइत्ता भवति से णं चाउद्दसट्ठम जाव अणुपालइला भवति से णं एगराइयं उवासगपडिमं ॥१३॥ For Private Personal Use Only A in Educat an inter w.jainelibrary.org

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