Book Title: Updeshpad Mahagranth Part 01
Author(s): Pratapvijay
Publisher: Muktikamal Jain Mohan Mala

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Page 933
________________ -8 य देससीमाए लग्गमाओहणं महाघोरं । छलघायगेण रिउणा उवणीओ कहवि निहणमिमो ॥ ६७ ॥ जणगपएसं ठविओ तत्तो निष्किंडलो परियणेण । णिद्धपयावयासणभासीकयसयलसत्तुगणो ॥६८॥ कइयाइणंदिवद्धणणामा सरी समोसढो तत्व । मो गउरवेण महया गओ तदंते सपरिवारो ॥ ६९ ॥ दिट्ठो सूरी अभिवंदिओ य रोमंचकंचुयंगेण । निसुओ६ दधम्मो कनामओवमो सायरमणेण ॥ ७० ॥ जह णयणाण पडलाणमवगमे ज्झत्ति कोवि पेच्छेइ । तह मोहपडलविलए म तत्तमवलोइ लग्गो ।। ७१॥ पदिवन्नो वा समणोवासगधम्मो पुरंदरजसाए । सद्धिं अलुद्धबुद्धी पायं भोगेसु संजाओ ॥७२॥ जागो पडिपुन्नजसो कालेण सुओ निहाणमणहाणं । गुणरयणाण तेसिं खीरोयजलुज्जलजसोहो ॥ ७३ ॥ जम्म तरजिणपूयापरिणामुन्भवविसुद्धसद्धाए । कारेइ जिणाययणं सुरगिरितुंगं तओ रम्मं ॥७४ ॥ पुण्णाणुवंधिपुण्णाणु भावो अह कयाइ तित्थयरो । णामेण सुमइणाहो तत्थायाओ मुणिसणाहो ॥ ७५ ॥ तबयणामयधारानिवायनिववि-12 यविसयविसदाहो । पवजमुज्जलं काउमुजओ ठवइ निययपए ॥ ७६॥ पुत्तं पवित्तविहिणा काऊण जहोचियाई कजाई। मावजकजमीरू एम सभज्जो विणिक्खंतो ।। ७७ ॥ परिवालियतिववओ तवोविहीऽणेगहा करेऊण । पजंतसमाहिपरोल कालं काऊण सोहम्मे ॥ ७८॥ उबवण्णो देवो देवभोगभूमीए भायणं जाओ। सावि य पुरंदरजसा जाया तत्थेव तद्देवी पंचपलिभोवमाई आउं तत्थच्छिउँ तओ देवो । पुवविदेहे पुंडरिगिणीए एत्थेव दीवम्मि ॥ ८०॥ निवचंदणवइणो भारि-15 याए सिरिचंदणामघेयाए । एरावणवारणसुमिणसूइओ सो सुओ जाओ ॥८१॥ ललियंगो से णामं ठवियं कलियाओ तह कला समा । पत्तो कमेण तारुन्नमुन्नयं भूरिसोहग्गं ॥ ८२ ॥ देवीवि य इह विजए मणिणिहिणयरम्म रम्मरूवम्मि ।

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