Book Title: Updeshpad Mahagranth Part 01
Author(s): Pratapvijay
Publisher: Muktikamal Jain Mohan Mala

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Page 943
________________ मामो नि नाम पाइको । जह भ६ ! देवसेणं आणेमु लहुं इहं णयरे ॥ २२३ ॥ आणवेइ देवो तं काहामित्ति मनिऋणं मो। तहाणा अवसरिओ ओयरिओ गिरिसिरोहिंतो॥ २२४ ॥ तम्मि समयम्मि कुमारो तीए उम्माहिओ गिहम्मि गं। अलहतो संपत्तो उजाणे गंदणमिहाणे ॥ २२५ ॥ जयकुंजरखंधगओ उजाणं सवओवि जा नियइ । फलफुल हाममाउलमाउलेण मणसा तओ हत्यी ।। २२६ ॥ अइ वहलदलावलिसालियम्मि एगम्मि चंदणतरूण। गहणम्मि संपविट्ठो । तरगंधुग्गारलुद्धमणो ॥ २२७ ।। अइसंकडत्तणाओ न परिवारो पविट्ठओ तत्थ । किंतु परिक्खित्तं तक्खणेण तं सवओ तेण ॥ २२८ ।। एत्यंतरम्मि सो चित्तमायनामा विउघिय सरीरं । गयणंगणग्गलग्गं ताडतरुदीहभुयजुयलं ॥ २२९॥ कुंजरसंधाओ महंधयारमुप्पाइउं तमुक्खिवइ । नेइ य खणेण मणिकुंडलस्स नयरस्स उज्जाणे ॥ २३०॥ णायमणेण जहा ईकेणावि कोवि कारणवसाओ । अवहरिओ तो इह किं करेमि अहवा निहालेमि ॥ २३१ ॥ एत्थं ठिओवि परिणाम| मरग विहियस्म इ वियफतो । जा चिट्ठइ ता राया विनायतदागमो सहसा ॥ २३२ ॥ पञ्चुग्गमणनिमित्तं सपरिवारो महाविभूदीर । तुररवरियंवरकुहरो नयराओ नीहरिओ ॥ २३३ ॥ पत्तो तयंतिए देवकुमरसरिसं तयं निहालेंतो। मन्नड (नियनयणाणं सहलं विहिणोवि निम्माणं ॥ २३४ ॥ अन्भुडिओ य तेणावि सायरं पणमिओय सप्पणयं । आभासिओ मुपायं (तत्व) तहा राइणा एसो ॥ २३५ ॥ नीओ णियम्मि गेहे जणगेणव गरुयगउरवसणाहं । उवयरिओ सयणा-1 गणभोयणपाडणाईहिं॥२३६ ।। निसुयं जणाओ अइगोवियंपि अवहारकारणं तेण । जाओ सविम्यमणो तयादंसणस्म का ॥ २३७ ॥ कइयावि तेण नियमंदिरंगणे सा चलंतिया दिट्ठा । पुषविलोइयपडिछंदयाणुसारेण विन्नाया॥२३८॥

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