Book Title: Tirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 1
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Shantisagar Chhani Granthamala
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स्व० आचार्य नेमिचन्द्र शास्त्री
इस विशाल ग्रन्थके लेखक आचार्य नेमिचन्द्र शास्त्री ज्योतिषाचार्य, एभए. ( संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी ), पी-एच. डी., डी. लिट्, अध्यक्ष प्राकृत संस्कृत विभाग हरप्रसाद दास जैन कालेज आरा (मगध विश्व विद्यालय) विहार हैं । हमें अपार दुःख है कि यह यशस्वो ज्योतिर्मान् विद्वशक्षत्र विगत १० जनवरी १९७४ को असमय में अस्त हो गया, जो अपनी इस अन्तिम कृतिको प्रकाशित न देख सका ।
यहाँ उनका संक्षेप में परिचय प्रस्तुत किया जाता है। ये होते, तो उनके इस परिचयके निबद्ध करनेकी आवश्यकता न होती ।
जीवन-परिचय
लेखकका जन्म पौष कृष्णा १२, विक्रम संवत् १९७२ में राजस्थान प्रदेशके बावरपुरमें हुआ। पिताका नाम श्री बलवीर सिंह और माताका नाम श्रीमती जावित्री बाई था। डेढ़ वर्षको अवस्था में ही आपके पिताका स्वर्गवास हो गया था। विधवा माता जावित्री बाई और नाना श्री झण्डू लालजी के संरक्षण में आप पले-पुषे एव मिडिल तक शिक्षा प्राप्त की । आचार्य शास्त्री बचपन से ही मेधावी और तीक्ष्णबुद्धि थे । आरम्भ में राजाखेड़ा (आगरा) के कुन्दकुन्द दि० जैन विद्यालय में सोन वर्ष और उसके बाद स्याद्वाद महाविद्यालय वाराणसीम सात वर्ष प्राच्य विद्याओं - प्राकृत, संस्कृत, धर्मशास्त्र, साहित्य, न्याय और ज्यौतिषशास्त्रका उच्च अध्ययन किया ।
आचार्य शास्त्रीने जो शैक्षणिक उपलब्धियां प्राप्त कीं, वे इस प्रकार है
प्राध्य. विद्या से सम्बन्धित —
१. न्यायतीर्थं ( दि० जैन) बंगाल संस्कृत एसोशिएसन
२. ज्योतिषतीर्थ
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अन्य
१. मैट्रिक परीक्षा २. इण्टर - मीडियड ३. साहित्यरत्न
३. काव्यतीर्थं
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४. शास्त्री (ज्योतिष) वाराणसेय संस्कृत विश्व विद्यालय
५. ज्योतिषाचार्य
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उत्तर प्रदेश बोर्ड, प्रयाग
२२ : तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा
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हिन्दी विश्व विद्यालय,
प्रयाग
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१९३७
१९३८
१९३२
१९४१
१९४६
१९४०
१९५४
१९४३