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भरत : एक शब्द-यात्रा :: ३५
३. स्कन्दपुराण, 'हिमाद्रि जलधेरन्तर्नाभि खण्डमितिस्मृतम्' आया है। (१/ २/३७/५५)। भागवत में 'अजनाभं नामैतद् वर्ष भारत मिति यत् आरभ्य व्यपदिशन्ति' लिखा है। (५/७/३) । महापुराण, ६२ / ८ भी देखिए । ४. भागवत्, ११/२/२४.
५. महापुराण, १४/८१.
६. इसी चिह्न से पुरातत्त्वज्ञ मूर्तियों की पहचान करते हैं और इसी के आधार पर इन्हें सिन्धु घाटी सभ्यता में पूजित माना जाता है।
७. महाभारत, शांतिपर्व, १२ / ६४/२० तथा महापुराण, ४२ / ६.
८. महापुराण, १६ / २६४.
९. भारतवर्षीय प्राचीन चरित्र कोश (सिद्धेश्वर शास्त्री चित्राव) में 'ऋषभ'
शब्द |
१०. वसुदेवहिण्डी, प्र० खं०, पृ०८६.
११. 'हिमाद्रेर्दक्षिणं वर्षं भरताय न्यवेदयत् । तस्मात्तु भारतं वर्षं वस्य नाम्ना विदुर्बुधाः ||' लिंगपुराण, ४७/२३ । वायुपुराण के अनुसार इसके पूर्व इस देश का नाम 'हिमवर्ष' था।
१२. 'पाञ्चजनीं विश्वरूपदुहितरमुपयेमे, भावगत् ५/७/१, जैन शास्त्रों के अनुसार भरत की रानी का नाम सुभद्रा के परिणय की कथा पर आधारित 'सुभद्रा नाटिका' जैसी कुछ साहित्य रचना हुई है।
१३. 'भरतस्यात्मजो विद्वान् सुमतिर्नाम धार्मिकः, वायुपुराण ३१ / ५३ तथा 'भरताद् भारतं वर्षं भरतात् सुमतिस्त्वभूत्', अग्निपुराण १०/११ । सुमति के अतिरिक्त भरत के अन्य कई पुत्रों के नाम भी मिलते हैं।
१४. कवि धनपाल रचित 'बाहुबली चरिउ ।' बाहुबली के चरित्र को लेकर जैन समाज में अनेक ग्रंथो की रचना की गई है, जो पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं। बाहुबली का जीवन-चरित्र, ऋषभदेव एवं भरत के चरित्रों के साथ ही सम्बद्ध है और उनके साथ वर्णित है, पर उनके चरित्र पर स्वतंत्र ग्रंथों का भी निर्माण हुआ है।
१५. भरत के पास नौ निधियाँ थीं। ये सभी चक्रवर्त्तियों को प्राप्त होती हैं। देखिए मायानंदि रचित शास्त्रसारसमुच्चय, पृ० ७४.
१६. आचार्य कुल भद्रकृत सारसमुच्चय - १३६.
१७. जैन साहित्य का इतिहास पूर्व पीठिका, भूमिका, पृ० ८.
१८. भारतवर्षीय प्राचीन चारित्र कोश (सिद्धेश्वर शास्त्री चित्राव) में 'भरत' (जड़) शब्द तथा हिन्दी विश्वकोश (नागेन्द्र नाथ वसु) खंड
१५, पृ० ७३०-३१-३२.
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