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: श्रमण, वर्ष ५९, अंक ४/अक्टूबर-दिसम्बर २००८
९. आलेम्खं णट्ट जोइसं - कुमारम्मि । पूर्वोक्त पृ० १-१०.
१०. शास्त्री, डॉ० नेमिचन्द्र, हरिभद्र के प्राकृत कथा साहित्य का आलोचनात्मक परिशीलन पृ० ४७ एवं ३९२ - ९६१, द्रष्टव्य, शर्मा, डॉ० निशानन्द, जैन वाङ्मय में शिक्षा के तत्त्व पृ० १४९१.
११. समराइच्चकहा (सम्पादक एम०सी० मोदी) अहमदाबाद, अष्टमभव
१२. कुवलयमाला - पृ० ८.
१३. पूर्वोक्त पृ० ६३-१२४.
१४. पूर्वोक्त पृ० १२८-१४८.
१५. पूर्वोक्त पृ० १५२ - १५३.
१६. आदिपुराण ३४ / १३४.
१७. समराइच्चकहा अष्टम भव की कथा में।
१८. पूर्वोक्त द्वितीय भव की कथा में।
१९. पूर्वोक्त नवम् भव की कथा में।
२०. सिंह, डॉ० अरुण प्रताप, जैन और बौद्ध भिक्षुणी संघ, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, पृ० ९१-९२.
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