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जैन धर्म और पर्यावरण संरक्षण : ४१
अत: हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि अहिंसा, संयम और तप धर्म है। इससे ही सर्वोच्च कल्याण हो सकता है। जिसका मन सदा धर्म में लीन है, उस मनुष्य को देव भी नमस्कार करते हैं। अन्त में निम्नलिखित तीर्थड्करीय आभूषण सभी को पहनना चाहिए जो इस प्रकार है
___ खामेमि सव्वे जीवा, सव्वे जीवा खमंतु मे।
मित्ती मे सव्वभूएस, वेंर मज्झं ण केणवि।। अर्थात् मैं समस्त जीवों को क्षमा करता हूँ, सब जीव मुझको क्षमा करें, मेरी सभी प्राणियों से मित्रता है, किसी से भी मेरा वैर नहीं है।
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