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१०६ : श्रमण, वर्ष ५४, अंक ४-६/अप्रैल-जून २००३ ४. डॉ० गीता श्रीवास्तव - श्रमणियों की जीवन पद्धति
वाराणसी डॉ० अंशु श्रीवास्तव - जैन एवं बौद्ध भिक्षुणियों के आहार सम्बन्धी वाराणसी डॉ० फूलचन्द जैन 'प्रेमी' - वैदिक परम्परा में व्रात्य की अवधारणा वाराणसी
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नियम
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नवम सत्र - सायं २.३० से ४.०० तक अध्यक्षता . प्रो० जे०पी० सिंह, शिलांग प्रो० राममूर्ति त्रिपाठी - वैदिक दृष्टि एवं श्रमण दृष्टि
उज्जैन २. डॉ० अरुण प्रताप सिंह - श्रमण परम्परा की सामान्य धारा
वाराणसी ३. प्रो० महेश्वरी प्रसाद - गौतम बुद्ध पूर्व बौद्ध परम्परा
वाराणसी ४. डॉ० श्रीमती नीहारिका - Origin of Sramanism : Causes and
Conflicts ५. डॉ० ईश्वर शरण विश्वकर्मा- श्रमण धारा की वैदिक अर्हत परम्परा
समापन सत्र
२८ अप्रैल सायं ४.३० - ६.३० मंगलाचरण
___ - पूज्य मुनि मनीष सागर जी म०सा० अतिथियों को माल्यार्पण प्रो० अंगने लाल (मुख्य अतिथि) - डॉ० डी० पी० त्रिपाठी प्रो० सागरमल जैन (अध्यक्ष)
डॉ० अरुण प्रताप सिंह सम्बोधन
डॉ० एल०पी० सिंह
श्री किशनचन्द जी बोथरा संगोष्ठी में पठित निबन्धों का - प्रो० महेश्वरी प्रसाद सार-संक्षेप प्रस्तुतीकरण मुख्य अतिथि का सम्बोधन
प्रो० अंगने लाल अध्यक्षीय सम्बोधन
प्रो० सागरमल जैन धन्यवाद प्रकाश
डॉ० श्रीप्रकाश पण्डेय
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प्रो० सागर
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