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विद्यापीठ के प्रांगण में : १०५
३. कु० अनामिका सिंह - बुद्धपूर्व श्रमण परम्परा का तात्पर्य
वाराणसी ४. डॉ० शिवाकान्त बाजपेयी - बौद्ध धर्म के विकास में सारिपुत्र मोग्गलायन सागर
का अवदान प्रो० चंद्रिका सिंह उपासक - Paticcasamuppāda and Four वाराणसी
Fundamental Truths
सप्तम सत्र - २८ अप्रैल २००३
प्रात: ९.०० बजे से ११.०० बजे तक अध्यक्षता - प्रो० एस०एन दुबे, शिमला डॉ० अमर सिंह - जैन तीर्थंकरों का राजगृह से सम्बन्ध लखनऊ डॉ० मारुति नन्दन प्रसाद तिवारी- जीवन्तस्वामी की मूर्ति परम्परा
वाराणसी ३. डॉ० हरिशंकर प्रसाद - Sramana - Brāhmana Tradition : A नई दिल्ली
Doctrinal conflicts, Transformation
and Adjustment ४. डॉ० पूर्णिमा एस० मेहता - Importance of Avasyaka - Jaina अहमदाबाद
Śramana Tradition डॉ० राहुल राज - रामायण के कुछ श्रमण संदर्भ
लखनऊ ६. प्रो० सुदर्शन लाल जैन - पार्श्वनाथ के सिद्धान्त : दिगम्बर-श्वेताम्बर वाराणसी
दृष्टि
अष्टम सत्र - २८ अप्रैल २००३
११.१५ बजे से १.०० बजे तक अध्यक्षता - प्रो० राममूर्ति त्रिपाठी, उज्जैन डॉ० मोहिनी चतुर्वेदी . उपोसथ मुकुन्दगढ़, राजस्थान प्रो० एस०एन० दुबे - śramaņa Tradition in the age of शिमला
Mahāvira & Buddha ३. डॉ० देवी प्रकाश त्रिपाठी - बुद्ध का सामाजिक दर्शन
बागड़, राजस्थान
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