Book Title: Sramana 2003 04
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 109
________________ विद्यापीठ के प्रांगण में : १०३ वाराणसी डॉ० सुधीर कुमार राय वाराणसी एक अध्ययन - यज्ञ संस्था : गौतम बुद्ध की दृष्टि में द्वितीय सत्र - दि० २६ अप्रैल २००३ सायं ४.४५ बजे से ६.३० बजे तक अध्यक्षता - प्रो० सच्चिदानन्द श्रीवास्तव, गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर डॉ० (श्रीमती) प्रभा अग्रवाल- वैदिक, बौद्ध एवं जैन साहित्य में वाराणसी प्रतिबिम्बित श्रमण परम्परा २. डॉ० (श्रीमती) रेखा चतुर्वेदी- श्रमण परम्परा का सातत्य गोरखपुर . डॉ० विपुला दुबे - संचरणशीलता एवं प्राणोपासना के विशेष गोरखपुर संदर्भ में श्रमण परम्परा डॉ० मनीषा सिन्हा . महावीर एवं बुद्ध का वर्षावास वाराणसी سه » तृतीय सत्र - २७ अप्रैल २००३ ९.०० बजे से ११.०० बजे तक अध्यक्षता - प्रो० सागरमल जैन कर्नल डी०एस० बया - Jain Sramana Tradition from उदयपुर Adinātha to Parshwanātha. २. डॉ० नन्दलाल जैन - Śramaņa Tradition of Mahāvīra. ا रीवाँ - ه ه डॉ० अशोक कुमार सिंह वाराणसी डॉ० विनय कुमार गोरखपुर डॉ० सत्तन कुमार सिंह गोरखपुर ६. डॉ० नीतू द्विवेदी गोरखपुर Sadhana of Mahavira as depicted in Upadhāna Sūtra जैन श्रमण अवधारणा : सूत्रकृतांग के विशेष संदर्भ में जैनधर्म में 'अर्हत्' शब्द का अर्थ विकास تم - - श्रमण आचार व्यवस्था की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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