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पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार भी प्रयासरत है व ऐसे कई कानून बनाये हैं जिसमें निरीह प्राणियों की हत्या करने व प्राकृतिक सम्पदा को नुकसान पहुँचाने वालों को कठोर दण्ड दिये जाने की भी व्यवस्था है। अब अगर आवश्यकता है तो इन नियमों की कठोरता पूर्वक पालन किये जाने की । पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी केवल सरकार को सौंप देने से काम नहीं चलेगा। इसके लिए हमें स्वयं भी प्रयास करने पड़ेंगे व लोगों को जागृत करना होगा। इस कार्य को वैज्ञानिक, शिक्षक व बुद्धिजीवी लोग आसानी से कर सकते हैं। प्रदूषण को रोकने के लिए हमें जीवों की हिंसा का भी पूर्णतया त्याग करना होगा। जब हम किसी प्राणी को जीवन नहीं दे सकते तो उनका जीवन लेने का भी अधिकार नहीं है। जैन धर्म के इस सूत्र कि हमारी सभी से मैत्री है, किसी से भी वैर नहीं है जब हम . अपनायेंगे तभी जगत् में पर्यावरण संतुलन कायम रखने में मनुष्य की सही भूमिका मानी जायेगी।
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