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६२ :
सन्दर्भ - सूची
१.
समवायाङ्ग, सम्पादक - मधुकर मुनि, आगम प्रकाशन समिति, व्यावर १९८२ ईस्वी, समवाय ८४.
२. वही, समवाय १४.
३.
प्रो० सागरमल जैन एवं सुरेश सिसोदिया, सम्पा०- प्रकीर्णक साहित्य : मनन और मीमांसा, उदयपुर १९९६ ईस्वी, पृ० २.
४.
श्रमण / जनवरी - जून २००२ संयुक्तांक
५. ६.
७.
८.
धवला, पुस्तक १३, खण्ड ५, भाग ५, सूत्र ४८, पृ० २७६, उद्धृत जैनेन्द्रसिद्धान्तकोश भाग ४, पृ० ७०.
वहीं,
पृ० ७०.
द्रष्टव्य, सन्दर्भ क्रमांक ३.
नन्दिसूत्रचूर्णि, अहमदाबाद, १९६६ ई०, पृ० ५८; नन्दिसूत्रवृत्ति, पृ० ७२; पाक्षिकसूत्रवृत्ति, पत्र ९५.
सिरिवीरभद्दायरियविरइया 'आराहणापडाया', पइण्णयसुत्ताई, भाग २, गाथा
८९४-९०३.
९.
वही, गाथा ९०४-९२१.
१०. 'देवेन्द्रस्तव', पइण्णयसुत्ताई, भाग १, गाथा २१-६६.
११. देखें- गणिविज्जापइन्नय, संपा०- प्रो० सागरमल जैन आगम संस्थान.
,
१२. नन्दीसूत्रचूर्णि, पृ० ५८.
१३. सारावली, पइण्णयसुत्ताई, भाग १, पृ० ३५०, गाथा १-६. १४. प्रकीर्णक साहित्य : मनन और मीमांसा, पृ० ७४.
१५. वही, पृ० ७५. १६. वही, पृ० ७५.
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