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१५६ : श्रमण / जनवरी - जून २००२ संयुक्तांक
महामन्त्री श्री अमितराय जैन ने अपने वक्तव्य में संस्थान के गतिविधियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की एवं श्री मणिभद्र जी म०सा० की प्रेरणा से स्थापित जैन युवा कान्फ्रेन्स के वाराणसी शाखा के युवाओं को शपथ दिलायी। इस अवसर पर देश के विभिन्न भागों से पधारे स्थानकवासी एवं मूर्तिपूजक समाज के प्रमुख व्यक्तियों ने अपने वक्तव्य प्रस्तुत किये। साध्वी संवेगरसा जी म०सा० एवं साध्वी मैत्रीकला जी म०सा० ने अत्यन्त सुन्दर मर्मस्पर्शी भजन प्रस्तुत किया। साध्वी भव्यानन्द जी म०सा० एवं महासती चन्द्रप्रभा जी म०सा० ने अपने वक्तव्य / प्रवचन से श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध कर दिया। दिल्ली से पधारे श्री सुभाष ओसवाल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संस्था को भरपूर सहयोग देने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर प्रमुख आगन्तुक अतिथियों को स्मृतिचिन्ह आदि भेंट कर विद्यापीठ की ओर से सम्मानित किया गया। अपने आशीर्वचन में पूज्यश्री मणिभद्र जी म०सा० 'सरल' ने ज्ञान के महत्त्व को बतलाते हुए चातुर्मास की महिमा
बारे में सुन्दर उद्बोधन दिया। समारोह के मुख्य अतिथि श्री कमल सिंह जी रामपुरिया ने चातुर्मास की मङ्गल कामना के भाव प्रस्तुत किये। इस भव्य समारोह के पश्चात् पूज्या ॐ कार श्री जी म०सा० एवं साध्वी श्रीभव्यानन्द जी म०सा० की प्रेरणा से नवीन साज-सज्जा से सुसज्जित शतावधानी रतनचन्द्र ग्रन्थालय का लोकार्पण श्री कमल सिंह जी रामपुरिया के करकमलों से सम्पन्न हुआ। पूज्य श्री मणिभद्र जी म०सा० की प्रेरणा से कानपुर की श्रीमती आरती दीपक कोठारी द्वारा प्रदत्त एक नवीन कम्प्यूटर का शुभारम्भ कलकत्ता से पधारी श्रीमती लीलावन्ती खारा ने किया। इस अवसर पर विद्यापीठ के सभी अध्यापकों एवं कर्मचारियों को सम्मानित किया गया। इन कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में स्थानीय विद्वान्, वाराणसी के जैन समाज तथा देश के कोने-कोने से पधारे गुरुभक्त उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने किया और विद्यापीठ की संचालक समिति के उपाध्यक्ष कुँवर विजयानन्द सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के अन्त में सामूहिक भोज का सुन्दर आयोजन रहा । इस भव्य कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यापीठ के नवनियुक्त निदेशक प्रो० माहेश्वरी प्रसाद जी, डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय, वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ० अशोक कुमार सिंह, डॉ० विजय कुमार, डॉ० सुधा जैन, श्री ओमप्रकाश सिंह (पुस्तकालयाधिकारी - शतावधानी रतनचन्द्र पुस्तकालय) तथा संस्थान के अन्य सभी कर्मचारियों ने अथक परिश्रम किया ।
जैनधर्म और पर्यावरण निबन्ध प्रतियोगिता - २००१ के परिणाम घोषित
पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा अपने संस्थापक स्व० लाला हरजसराय जैन की स्मृति में आयोजित जैनधर्म और पर्यावरण निबन्ध प्रतियोगिता २००१ का परिणाम घोषित कर दिया गया और २४ अप्रैल को महावीर जयन्ती के अवसर पर आयोजित भव्य समारोह में उपस्थित प्रतिभागियों को पुरस्कार राशि एवं प्रमाण-पत्र भेंट कर
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