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विद्यापीठ के प्रांगण में : १४९
(कानपुर) ने किया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यापीठ की प्रवक्ता डॉ० सुधा जैन ने अथक परिश्रम किया।
अहिंसा एवं धार्मिक सहिष्णुता पर सर्वधर्मसमभाव-संगोष्ठी
स्थानकवासी-परम्परा के महान् सन्त पूज्य श्री सोहनलालजी म.सा० की पुण्य स्मृति में स्व० लाला हरजसराय जैन, अमृतसर वाले (वर्तमान में फरीदाबाद, हरियाणा) द्वारा प्राकृत-भाषा और जैन-विद्या के उच्च अध्ययन और संशोधन हेतु सन् १९३७ में स्थापित पार्श्वनाथ विद्याश्रम (अब पार्श्वनाथ विद्यापीठ) द्वारा भगवान् महावीर की २६०१वीं जन्म जयन्ती के शुभ अवसर पर २४ अप्रैल २००२ को सर्वधर्मसमभाव नामक विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी मानव-मिलन के प्रेरक पूज्य श्री मणिभद्र मुनिजी म.सा० की प्रेरणा से आयोजित की गयी जिसमें वाराणसी के चारों जैन-सम्पदायों का पूर्ण सहयोग प्राप्त रहा। यह उल्लेखनीय है कि पूज्यश्री मणिभद्र मुनिजी आचार्य सोहनलालजी म.सा० की शिष्य-प्रशिष्य-परम्परा के ही उज्जवल नक्षत्र हैं और वर्तमान में अपने शिष्य श्री पदम मनिजी के साथ विद्यापीठ में ही अध्ययनार्थ विराजित हैं। पार्श्वचन्द्रगच्छ की प्रमुख साध्वी शासनप्रभाविका पूज्या ॐकार श्रीजी म.सा० अपनी १० शिष्याओं के साथ विद्यापीठ में ही विराजमान हैं। स्थानकवासी समुदाय के युवाचार्य श्री मिश्रीमलजी म०सा० की सुयोग्य शिष्यायें-साध्वी चेतनप्रभा श्रीजी म.सा० और डॉ० चन्द्रप्रभा श्रीजी म.सा० भी यहीं विराजमान हैं। अजरामर-सम्प्रदाय की तीन वैरागन बहनें भी यहां अध्ययनरत हैं। ये सभी संगोष्ठी में उपस्थित रहे।
संगोष्ठी की अध्यक्षता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति, सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो० पी० रामचन्द्रराव ने की। इसमें बौद्धधर्म, ईसाईधर्म, इस्लामधर्म और कबीरपंथ के प्रमुख विद्वान् एवं विचारक उपस्थित रहे। केन्द्रीय तिब्बती उच्च अध्ययन संस्थान, सारनाथ के कुलपति प्रो० नवाङ् सामतेङ् और बौद्धविद्या के शीर्षस्थ विद्वान् प्रो० रमाशङ्कर त्रिपाठी ने अहिंसा और धार्मिक सहिष्णुता पर बौद्धधर्म के विचार प्रस्तुत किये। पूज्यश्री मणिभद्र मुनिजी, साध्वी श्री भव्यानन्दजी एवं साध्वी चन्द्रप्रभा श्रीजी ने जैनधर्म का प्रतिनिधित्व किया। आचार्य श्री गङ्गाशरण शास्त्री ने कबीरपंथ एवं फादर राजमोहन ने ईसाईधर्म तथा मौलाना वातिन नोमानी ने इस्लामधर्म का प्रतिनिधित्व किया। कानपुर के भाजपा विधायक श्री सलिल विश्नोई तथा वाराणसी के स्थानकवासी समाज के अग्रगण्य श्रावक श्री आर०के० जैन ने भी इस संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त किये। पार्श्वनाथ विद्यापीठ की प्रबन्ध-समिति के सचिव प्रो० सागरमल जैन ने विषय प्रवर्तन किया। ___ संगोष्ठी का प्रारम्भ पूज्यश्री मणिभद्रजी म.सा. के मङ्गलाचरण से हुआ। प्रो०
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