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१४८ : श्रमण/जनवरी-जून २००२ संयुक्तांक के चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके दीर्घायु होने की कामना की। श्री सिंह के पश्चात् प्रो० रेवतीरमण पाण्डेय और श्री सलिल विश्नोई ने भी पूज्य गुरुदेव के चरणों में श्रद्धासुमन समर्पित किया। पार्श्वनाथ विद्यापीठ की ओर से डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय, डॉ० अशोककुमार सिंह और डॉ० विजय कुमार ने अपने वक्तव्यों में गुरुदेव की प्रशंसा करते हए उनके दीर्घायु होने की कामना की। सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद् श्री शान्तिलाल जैन भी इस अवसर पर उपस्थित थे। अपने वक्तव्य में उन्होंने पर्यावरण और नदियों की सुरक्षा तथा स्वच्छता बनाये रखने का आह्वान किया। पूज्य गुरुदेव ने अपने उद्बोधन में अहिंसा और पर्यावरण के सम्बन्ध में कहा कि भगवान् महावीर ने पर्यावरण की रक्षा के लिए अहिंसा का उपदेश देकर पर्यावरण को दूषित होने से बचाया। प्रकृति और मनुष्य को गहराई से जानने और समझने का प्रयत्न ही पर्यावरण को सही ढंग से समझने का आधार है।
कार्यक्रम के अन्त में विद्यापीठ के सभी अध्यापकों एवं कर्मचारियों को श्री दीपक कोठारी, कानपुर की ओर से उपहार एवं नकद राशि प्रदान कर श्री सलिल विश्नोई ने सम्मानित किया। गुरुदेवश्री की परमभक्त सौ० आरती कोठारी (धर्मपत्नी श्री दीपक कोठारी) के सौजन्य से भोजन की सुन्दर व्यवस्था की गयी थी। समारोह का संचालन पार्श्वनाथ विद्यापीठ के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ० अशोककुमार सिंह एवं श्री सुनील जैन
श्रीमती रुक्मिणीदेवी दीपचंद माडीपकतएवजेन विद्या उच्चअध्ययन कर
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'सर्वधर्मसमभाव' संगोष्ठी के अवसर पर लिया गया चित्र - मंच पर उपस्थित प्रो० रमाशंकर त्रिपाठी, प्रो० नवाङ्-सामतेङ्, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो०रामचन्द्र राव, प्रो० ए०के० नारायण, मौलाना वातिन नोमानी, श्री सलिल विश्नोई, श्री आर०के० जैन
आदि। बगल में विराजित पू० मणिभद्रजी 'सरल' एवं श्री पदम मुनिजी म.सा०। Jain Education International For Private & Personal Use Only
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