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(४३) कोश् देवताना सहायथी अथवा प्रबल आयुष्यवान् पामे. परंतु मनुष्य जन्मश्री ज्रष्ट थयो ते फरी मनुव्यावतार न पामे ) इति प्रथम चुसकदृष्टांतः ॥१॥ - हवे बीजो पासानो दृष्टांत कहे . जरतदेतमा गोल देशने विषे चणकनामें ग्राम . तिहां चणकनामें ब्राह्मण तेनी चिणेश्वरी नामें नार्या ते स्त्री जरतार बेहु अरिहंतनी नक्तिनां करनार . तेमने घरे दांत सहित पुत्र जन्म्यो. मात पितायें दांत घसावी नाख्या. एकदा झषीश्वरनो संघाडो तेमने घेर श्राव्यो, तेवारे चिणेश्वरीयें नमस्कार करीने पूब्युं के महाराज! अमारे घर आ दांत सहित पुत्र श्राव्यो, तेनुं हुं फल थाशे ? ऋषियो बोल्या के जो तमें एना दांत नही घसत तो ए राजा थात. हवे ए दांत घसी नाख्या माटे बिंबांतरित राजा थाशे, पड़ी ते पुत्रनुं चाणाक्य एवं नाम दीधुं. ते पण आकरो श्रावक थयो, सर्व विद्या नण्यो, यौवनावस्था पाम्यो, रुडा कुलमां परणाव्यो, अन्यदा प्रस्तावें चाणाक्यनी स्त्री जाश्ना विवाह माटें पी. यर गइ. तिहां विवाह उपर बीजी पण बहेनो श्रावी, तेना ससरा महाधनवंत ने तेथी ते बहेनो