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नव प्रत्यक्ष धन्य जाणवां. ते वाक्य सांगली शेव हर्षवंत थयो अन्यदा ते बेहुजण शेठनी साथै देरासरें गया, तिहां शेठ फूल लइ जिनजुवनमां गयो अने ते बे सेवकमांहेलो एक वडेरो सेवक पांच कुंकांना फूल लई जक्तिपूर्वक जिनपूजा करवा लाग्यो, ने बीजो सेवक उपाश्रयें जइ व्याख्यान सांजलवा बेो. उपवास करी बे पहोर पढी पोतानी पांतीमां आवेलुं धान्य पीरसावीने जक्तिपूर्वक रुपीश्वरने वहोराव्युं, मनमांदे पोताने अत्यंत धन्यवाद आपतो रह्यो एम अनुक्रमें शुभकृत्य करतां श्रायु पूर्ण यये बेहु जण मरण पामी कलिंगदेशनो शूरसेन नामें कोइक राजा बे, तेनी विजया नामें राणीनी कूखें पुत्रपणें ज उपना. तेमां एकनुं नाम - मरसेन ने बीजानुं नाम वीरसेन पाड्यं बेहु पुत्र राजाने परमवल्ल बे, अनुक्रमें सर्वकलाना पारंगामी या. ते बेहु सौभाग्यनिधान सर्वलोकने अत्यंत प्रिय थयेला देखीने उरमान मातायें चिंतव्युं जे ज्यांसुधी ए वे पुत्र थाही हशे, त्यांसुधी म द्वारा पुत्रनें राज्य मलशे नहीं.
एकदा राजा वसंतक्रीडाने य उद्यानें गयो.