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को अब जागना चाहिये । सारा संसार आगे बढ़ता जा रहा है और आप भी अपनी संस्कृति को पहिचानिये ।
॥धार्मिक जीवन॥
पुरुषों में बहु विवाह की प्रथा अवश्य प्रचलित थी किन्तु स्त्रियां एक पतिव्रत धारिणी होती थीं। गृहस्थ आश्रम में गृहस्थ के भार के संभालने के साथ २ स्त्रियां धार्मिक कार्यों की उपेक्षा नहीं करती थीं। प्रतिदिन प्रतिक्रमण करना और संतों की सेवा में बैठकर धर्मग्रन्थ श्रवण करना ये उनके नित्यकृत्यों के प्रधान अंग थे। वे अपने पति में बड़ी श्रद्धा और प्रेम रखती थीं । जब वे उन की इच्छा के विपरीत कार्य करते थे तो वे अपने अधिकार को भूलती न थीं और उन्हें युक्तियों द्वारा समझा कर ठीक कर लेती थीं। जम्बू कुमार जब दीक्षा लेने के लिये तैयार हुए तो उन की पलियों ने उन को खूब समझाया और घर पर रहने के लिये बाध्य किया । जम्बूकुमार ने उन की सम्मति को प्रेमपूर्वक सुना और उस का पालन किया। इस से भी पता चलता है कि पति भी अपनी पत्नियों के उचित श्राग्रह की अवहेलना नहीं करते थे। श्रापत्तिकाल में स्त्रियां अपने शील की रक्षा भी बड़े साहस से करती थों। चन्दन वाला की माता धारिणी, और महासती, राजीमती इस सत्य के ज्वलन्त उदाहरण है।
चम्पा नगरी में दधिवाहन नाम के राजा राज्य करते थे । उनकी राणी का नाम बारिणी था जो बड़ी ही रूपवती थी। उस पर कौशाम्बी के राजा शतानीक ने चढ़ाई कर दी। दधिवाइन जंगल में भाग गया। शतानीक के एक योद्धा ने राजमहल को लर लिया और धारिणी को अपने काबू में कर लिया। वह उस पर प्रासक्त हो गया। धारिणी ने
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