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है और वादी प्रतिवादियों के शास्त्रीय कलह को मिटाने के लिये ऐमी व्यवस्था देता है बो दोनों को मान्य हो । अनेकान्तवाद की बुनियाद सत्य पर टिकी हुई है इस कारण वह सदा निष्पक्ष व्यवस्था का स्थापन करता रहा है। इसी महानता के कारण अनेकान्तवाद ने संसार के अन्य दर्शनों में ऊंचा स्थान प्राप्त किया है।
अन्य दर्शनों पर प्रभाव । भारत के अन्य दर्शन वैदिक और बौद्ध भी अनेकान्तवाद से बहुत प्रभावित हुए। वैदिक और बौद्ध धर्मों के दार्शनिक ग्रन्थों में अनेकान्त दर्शन को मान्यता के उदाहरण बहुत मिलते हैं। निस्सन्देह वैदिक धर्म के कुछ दार्शनिक विद्वानों ने अनेकान्त सिद्धान्त का समय २ पर खण्डन भी किया किन्तु वैदिक दर्शन इसके प्रभाव से मुक्त नहीं रह सका। बौद्ध सिद्धान्त पर तो अनेकान्त सिद्धान्त का बहुत ही प्रभाव पड़ा । दुर्भाग्यवश बहुत से कहर पन्थियो ने इसका पालन नहीं किया जिसका परिणाम यह हुश्रा कि दिन प्रतिदिन धर्मान्धता बढ़ता गई और वैमनस्य का वातावरण फैलता गया। यदि अनेकान्तवाद के समन्वय और शान्ति के सन्देश को संसार ने सुना होता तो उसका इतिहास और ही प्रकार से लिखा होता ।
जीवन में धर्म की प्रधानता ।
मानवजाति के इतिहास से पता चलता है कि हमारे पूर्वजों ने इहलौकिक और पारलौकिक दोनों के सुख और शान्ति के लिये धर्म को ही प्रधान स्थान दिया था। संसार-सागर को पार करने के लिये वे एकमात्र धर्म को ही तरणी समझते थे। मानव-जीवन की
भयानक आपत्तियों और घोर कष्टों का अन्त उन्होंने धर्म में ही देखा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com