Book Title: Shraman Sanskriti ki Ruprekha
Author(s): Purushottam Chandra Jain
Publisher: P C Jain

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Page 201
________________ ( १८२ ) इम प्रकार अन्त में केवल यही कहना पर्याप्त होगा कि बौद्ध धर्म में केवल एक हो महान् तत्व माना है और संसार के सत्र प्राणी उस के क्षणिक स्वरूप है। जब वे सब उस तत्व के अनुकूल चलते हैं तो सब नित्य हैं और जब अहंकार और अज्ञान के द्वारा उम से विगत चलते हैं तो नाश को प्राम होते हैं । इस प्रकार वैदिक, जैन और बौद्ध इन तीनों भारतीय महान् धर्मों के ईश्वर विषयक संक्षिप्त विश्लेषण से पाठकों को भली प्रकार पता चल गया होगा कि तीनों धर्मों में ईश्वर का क्या स्थान है और तीनों किस २ रूप में उस की सत्ता को स्वीकार करते हैं। . ((((HEMA ((( RUUN HI MISHRA Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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