Book Title: Shatsthanak Prakaranam
Author(s): Jineshvarsuri
Publisher: Jinduttsuri Gyanbhandar
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॥ अर्हम् ॥
दुर्लभराजसदसी प्राप्तखरतर बिरूद - वसतिमार्गप्रकाशक - श्रीमजिनेश्वरसूरिविरचितम् - पदस्थानकप्रकरणम् ।
श्रीमज्जिन पति सूरिशिष्य-प्रवर पण्डित - श्रीमज्जिनपालविवृतवृत्युपेतम्
धर्मोपदेशनविधौ रदनोत्थकान्तिः सान्द्रोद्यती जनतनूर्विशदीचकार । अन्तर्विशुद्धिकर गीर्विजिगीषयेव, यस्य श्रियं जिनपतिस्तनुतात्स वीरः ॥ १ ॥ श्रीमत्सूरिजिनेश्वरेण रचिते षट्स्थानके स्थानके, मुक्तिप्रस्थितभव्यपान्थनिवहस्याध्वव्यवस्थाकृतिः । वृत्तिर्मन्दधिया मया प्रकरणे प्रारभ्यतेऽत्रादरात्, संक्षिप्ता सुगुरोरुपासनविधेः प्राप्तार्थले स्पृशा ॥२॥
जिगीषयैव इति प्रत्यन्तरे ।
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