Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 3
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad

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Page 441
________________ २०७६ सर न. ( सरतीति सृ + अच्) सरोवर, पाशी, छहींनी तर, भीहुँ, हडींनी भसानु भाषा, जाश, हार. - अयं कण्ठे बाहुः शिशिरमसृणो मौक्तिकसरःउत्तर० १।३९ । (न. सरति, सृ+भावे अच्) ४, सरद्रुवु, जसवुं. (त्र. सरतीति, सृ+कर्तरि अच् ) लेहनार तोडनार, ४नार, सरनार, जसनार.. सरक त्रि. पुं. न. (सृ+ वुन्) मद्य पीवानुं खेड भतनुं पात्र, भद्य, शेखडीनुं भद्य, - चक्ररथ सह पुरन्ध्रिजनैरयथार्थसिद्धिसरकं महीभृतः शिशु० १५ १८० । शेखडीनुं भद्य पीवानुं खेड भतनुं पात्र, मंडित थया विनानी भार्गनी खोज, भुसाइशेनी पंडित (त्रि सरतीति, सृ + वर्तमाने ण्वुल्) जसनार, ४नार, सरनार (-न. सर + स्वार्थे कन्) सरोवर, तणाव, स्वर्ग. सरघा स्त्री. (सरं मधुविशेषं हन्तीति हन् + निपातनात् साधुः ) भधभाजी- तस्तार सरघाव्याप्तैः स क्षौद्रपटलैरिव - रघु० ४।६३ । शब्दरत्नमहोदधिः । सरङ्ग पुं. (सृ + अङ्गच्) पक्षी, यार परवानुं भन्तु. सरङ्गी स्त्री. ( सरङ्ग + स्त्रियां जाति ङीष् ) यार पगवाणी झोपा स्त्रीभति, पक्षिशी.. सरज न. ( सराज्जयते, जन्+ड) नवनीत. सरजस् स्त्री. (सह रजसा, सहस्य सः) ऋतुमती स्त्री, डायेसी स्त्री. (त्रि. रजसा सह वर्तमानः) २४वाणुं रभेगुरावा. ( अव्य. सह रजसा अव्ययी अच् समा.) २४सहितप. सरट् पुं. (सरतीति, सृ गतौ + उणा अटि) पवन, भेघ, भधभाजी, अथंडी, भोथ. सरट पुं. (सरतीति, सृ गतौ अटन् ) थंडी- 'वल्याः प्रपाते च फलं सरटस्य प्ररोहणे । शीर्षे राजश्रियोंऽवाप्तिर्भाले चैश्वर्यमेव च ' -दिवाकरे । लूता हि सरटानां च तिरश्चां चाम्बुचारिणाम् - मनु० १२।५७ । सरटि पुं. (सृ + अटिन्) वायु, भेघ सरटी स्त्री. (सरट + स्त्रियां जाति ङीष) (थंडी, अडीडी. सरटु पुं. (सृ+अटु) अडीओ, डायंडी. सरण न. ( सृ + भावे ल्युट्) गमन २, ४, सरवु, લોઢાનો મેલ. सरणा स्त्री. (सृ + ल्युट् +टाप्) नसोतर, भेड भतनो वेलो. सरणि, सरणी स्त्री. (सृ + अनि ङीबभावः / सरणि+ स्त्रियां ङीप् रस्तो पंडित, प्रसारशी, नसोतर- 'अयशः सरणिसंमार्जनजागरूकाः...' - रामायणचम्पौ । Jain Education International [ सर-सरस सरण्ड पुं. (सृ+अण्डच्) पक्षी, अडीओ, घुतारी, आशરંડીબાજ, એક જાતનો દાગીનો. सरण्डी स्त्री. (सरण्ड + स्त्रियां ङीष्) पक्षिएशी, अभी स्त्री, व्यभियारिशी स्त्री, धूर्त स्त्री, डाडीडी, डायंडी. सरण्यु पुं. ( सरतीति, सृ+उणा अन्युच्) वायु, भेध, भोथ, पाशी, वसन्त तु, अग्नि, चित्रानुं आड, यमनुं नाम. सरत् त्रि. ( सृ+वर्तमाने शतृ) ४तुं, यासतुं, गति अस्तुं-स२ऽतुं. (न. सृ+ शतृ) सूत्र, सुतरनो तांतली. सरनि पुं. (सह रत्निना) रति शब्द दुख, खेड हाथ भाप, रत्नि अगर अरत्नि. सरन्ती स्त्री. (सृ + वर्तमाने अत् + स्त्रियां ङीप् ) सरती, जसती, यावती स्त्री. सरपत्रिक स्त्री. ( सरे जले पत्रमस्याः, ठन्+टाप्) मजनुं आउ, भजनुं पां. सरभस त्रि. ( रभसेन सहितः सहस्य सः ) उतावणियुं, ताव, वेगवाणुं, उग्र, श्रोधपूर्श, खानंहित. सरभसम् अव्य. ( रभसेन सहितम्) उतावनी, ४ही थी.. सरमा स्त्री. (सह रमते, रम्+अच्+टाप्) ते नाभे खेड કૂતરી, તે નામે એક રાક્ષસી-વિભીષણની પત્ની, દક્ષની પુત્રીનું નામ, કશ્યપ ઋષિ. सरयु स्त्री. (सरतीति, सृ गतौ + उणा. अयु) अयोध्यानी पासे वडेती खेड नही-सर नही - (पुं. सरतीति, सृ गतौ + अयु) वायु, पवन. सरल पुं. (सृ+अलच्) वायु, पवन - (त्रि. सृ+कलच् बाहुलकात् गुणः) सीधु, सरब, उधार. सरलद्रव, सरलनिर्यास, सरलरस पुं. (सरलोत्थितो द्रवः/सरलोत्थितो निर्यासः / सरलसय रसः) सरल વૃક્ષમાંથી નીકળતો ગુંદર-ટારપીન. सरला स्त्री. ( सरल + स्त्रियां टाप्) त्रिपुटा शब्द दुखोसरले साहसरागं परिहर- मा० ६।१०। - अयि सरले ! किमत्र मया भगवत्या शक्यम् - मा० २। सरलाङ्ग पुं. (सरलः पीतगुरङ्गमस्य) श्रीवेष्ट नाभे गन्धद्रव्य - (त्रि. सरलानि अङ्गानि यस्य) सीधा अंगवानुं, सीधु. - (न. सरलं च तत् अङ्गं च ) सरस-सीधु संग. सरस् न. (सृ+असुन्) पाएशी, सरोवर, तजाव सरस त्रि. (सह रसेन जलेन आस्वादेन च सहस्य सः ) रसवाणुं, सूदु नहि ते सरसवसन्त० गीत० १ | For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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