Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 3
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad

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Page 499
________________ २१३४ शब्दरत्नमहोदधिः। [सूक्ष्मैला-सूचिशालि सूक्ष्मैला स्त्री. (सूक्ष्मा चासौ एला च) 9. मेाऽयी. | सूचिकाधर पुं. (सूचिकां शुण्डां धरति, धृ+अच्) सूच् (चु. उभ. स. सेट-सूचयति-ते) या. ४२वी, थी. (त्रि. सूचिकां धरति, धृ+ अच्) सोय धा२५८ पाउ.मताव, सूयवj- 'सारंगास्ते जललवमुचः २२. सूचयिष्यन्ति मार्गम्-मेघदूते । अतिरिदोड ४२वी. | सूचिकाधरी स्त्री. (सूचिकाधर+स्त्रियां जाति. ङीष्) सूच पुं. हमनी अंदु२. हाथए. सूचक त्रि. (सूच्+ण्वुल्) ५२ ७२ना२, ४५वना२, | सूचिकाभरण (न.) वैधभi ८. मे. औषध, ठे બતાવનાર, ચાડી કરનાર, આંતરિક દ્રોહ કરનાર, સંનિપાત રોગમાં લેવાય છે. (पुं. सूचयति अन्तर्दुह्यति, सूच्+ण्वुल) 03, सूचिकामुख पुं. (सूचिकेव कमसूक्ष्मं मुखमस्य) सोयर्नु, तरी- लोष्टमी तृणच्छेदी नखखादी च यो नरः । भुम, शं. स विनाशं वज्रत्याशु सूचकोऽशुचिरेव च-मनु० ४७१। सूचिक्षेत्र न. (सूच्याकारं क्षेत्रम्) 'दीयावती' प्रसिद्ध બિલાડો, પિશાચ, સિદ્ધગણ, બુદ્ધ, નાટક પ્રસિદ્ધ સોયના આકારનું એક ક્ષેત્ર. સૂત્રધાર, કથા કહેનાર, ઝીણી ડાંગર, સીવવાનું સાધન | सूचित त्रि. (सूच्+क्त) ४२j, deudj, सूयवेडं - द्रव्य. ___ अङ्कान्ते सूचितः पात्रैस्तदङ्कस्याविभागतः-सा० सूचकी स्त्री. (सूचक+स्त्रियां जाति. डीए) ग31, द०६३११। हिश जतावेj. दूत, निसा51, पि२us. सूचितव्य त्रि. (सूच+कर्मणि तव्यच्) सूयवदा दाय, सूचन न. (सूच+ल्युट) सूयवj, suaj -भङ्गि | 34 445, ४९uaal योग्य. सूचनविधौ विशारदो नारदो मुनिरदर्शनं ययौ- | सूचिता स्री. (सूचि+तच्+टाप्) सोयन, 51म, सोय५j. कखासरित्० १५।१४८। यी ७२वी, हेमाउj, सूचिदल पुं. (सूचिवत् दलानि यस्य) सिताव२. ना. मता, डिंसा ४२वी. એક ઝાડ. सूचनकृत् न. (सूचनं करोति, कृ+क्विप् तुक् च) सूचिन् पुं. (सूच+णिनि) स.६, 1.सू.स., गुप्तत. सूत्र३५. वाय, सूत्र. (पुं. सूचनं करोति, कृ+क्विप् ___ पर्वकारी च सूची च मित्रधुक् पारदारिकःतुक् च) सूत्रा२, विद्वान. (त्रि. सूचनं करोति, महा. ५।३४।४६। (त्रि. सूचयति, सूच्+णिनि) कृ+ क्विप् तुक् च) या४२८२, ४५२, 33ना२, ४५04, सूयवन॥२. સૂચવનાર. | सूचिनी स्त्री. (सूच+णिनि+ङीप्) शत, ४१६२. सूचना स्त्री. (सुच्+युच्+टाप) दृष्टि, न४२, पी31, सूचिपत्र न. (सूचेः पत्रम्) अन्य विषयने ४॥वनार अभिनय, हावभाव-या, 6५२नो श० शुभो. ही वगै३. सूचि स्री., सूची पुं. (सूच्यतेऽनया, सूच्+णिच्+इ/ सूचिपत्रक पुं. (सूचिरिव पत्रमस्य कप्) में तनु पुं. सीव्यतेऽनया, सिव्+ चट् टेरुत्वं टित्त्वात् ङीप्, । शा. सूच+ इन्+ ङीप् वा) सीबवान साधन सोय, शिमा, | सूचिपुष्प पुं. (सूच्याकारं पुष्पं पुष्पाग्रं यस्य) 3त. ચોટલી, એક જાતનું નૃત્ય, પુસ્તકના વિષયનો કોઠો, | वृक्ष-वान 3. सूखापत्र, पावभावथा. सूयवj, duaj, हावभाव, सूचिरोमन् पुं. (सूचिरिव रोमास्य) हु२, २६, v3. या नृत्यनो मे. प्र.८२- सूचिर्नृत्यप्रभेदे च व्यधनी सूचिवत् पुं. (सूचिरिव तदाकारचञ्चुरस्त्यस्य मतुप् शिखयोरपि -रत्नकोशे । तनो त्रि.1, शंकु, ___ मस्य वः) २७. એક જાતની સૈન્યની ભૂહરચના, અંકુર, દર્ભનો અંકુર, | सूचिवदन, सूचीवदन पुं. (सूचिरिव वदनं यस्य/ કાણાં પાડવાં. सूचीव वदनं यस्य) नाणियो, म८७२. सूचिक त्रि. (सूचिः तया सीवनं शिल्पमस्त्यस्य ठन्) सूचिवदनी, सूचीवदनी स्री. (सूचिवदन-सूचीवदन+ સીવવાના ધંધા ઉપર જીવનાર-દરજી. स्त्रियां जाति. ङीष्) नाणिय. सूचिका स्त्री. (सूचि+स्वार्थे क+टाप्) सोय, सोयो, सूचिशालि, सूचीशालि (सूचिवत् सूक्ष्मः शालिः। हाथीनी सूंद. __ सूची शाली) समो. को३ सूक्ष्म धान्य. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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