Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 3
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
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स्तब्धीभवन - स्तूप]
स्तब्धीभवन न. (स्तब्ध+च्वि+भू+ ल्युट्) ञटडवु, रोडा, थंली ४.
स्तब्धीभूत त्रि. (स्तब्ध + च्वि + भू+क्त) स्तब्ध थयेस, रोडायेस, जटडेल.
स्तभ (पुं.) जडरो, धेटो.
स्तभी स्त्री. ( स्तभ + स्त्रियां जाति ङीष्) जडुरी, घेटी. स्तम्ब पुं. (स्था + अम्बच् किच्च - पृषो.) थुंजडु, घासनो ગુચ્છો, ઝાડનું મૂળ, ઝીંઝોટી વગેરે વૃક્ષ. स्तम्बकरि पुं. (स्तम्ब करोति, कृ + इन्) वीडिधान्य-डांगरपुंसि स्तम्बकरिर्धान्यं व्रीहिन धान्यमात्रकेशब्दरत्नावली ।
शब्दरत्नमहोदधिः ।
स्तम्बकार त्रि. (स्तम्बं करोति, कृ + अण् ) घासनो ગુચ્છો કરનાર.
स्तम्बधन पुं, स्तम्बघ्न त्रि. (स्तम्बो हन्यतेऽनेन, हन्+क/ स्तम्बं हन्ति, हन् + टक् / स्तम्बो हन्यतेऽनेन, हन् + ल्युट् ) थुंजडुं उवानुं डोहाणी वगेरे खोभर. स्तम्बपुर् स्त्री. (स्तम्बप्रधाना पूः) ताम्रलिप्ती शहरताम्रलिप्तं दामलिप्तं ताम्रलिप्ती तमालिनी । स्तम्बपूर्विष्णुगृहं च- हेमचन्द्रः ।
स्तम्बेरम पुं. (स्तम्बे रमते, रम्+अच्) हाथी- 'स्तम्बेरमाः मुखरशृङ्खलकर्षिणस्ते' - रघुवंशे ५८२ । स्तम्बेरमी स्त्री. (स्तम्बेरम + स्त्रियां जाति ङीष्) हाथाएगी. स्तम्भ ष्टम्भ् धातु दुखो रोड, खावरा थ. स्तम्भ पुं. (स्तम्भ्+अच्) थांभली- स्तम्भं महान्तमुचितं सहसा मुमोच - शिशु० ५।४८ । ४३, ४४ थ स्तम्भन पुं. (स्तम्भ + णिच् + ल्यु) महेवनां पांथ आए पैडी खेड जाएग. (न. स्तम्भ + भावकर्मादौ ल्युट् ) थंभावपुं- दुष्टस्तम्भनमुग्रविघ्नशमनं दारिद्रविद्रवणम्बगलामुखी स्तोत्रे । ४२, तंत्रशास्त्र प्रसिद्ध खेड अभियार-दुर्भ.
स्तम्भित त्रि. (स्तम्भ + संजाताद्यर्थे इतच् ) थंभेस- कण्ठः
स्तम्भितबालवृत्तिकलुषः - श० ४।५। 83 उरायेस. स्तर, स्तरिमन् पुं. (स्तृ+अच् / स्तृ + इमनिच्) आरछाहन, विछानुं, पथारी, थर.
स्तरी स्त्री. (स्तु+ई) घुमाउरो..
स्तव (स्तु + अप्) प्रशंसा, स्तुति, वारा. स्तवक पुं. (स्तु + वन्- स्था+अवक पृषों. वा.) गुथ्छोपुष्पादिस्तके गुच्छ मुक्ताहारकलापयोः च वर्गान्तेषु रन्तिदेवः । अन्थनो अमुटु लाग, समूह,
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स्तवरक पुं. ( स्तवर+कै+क) वाउ. स्तवेय्य पुं. (स्तु + एय्य) ईन्द्र.
स्तावक त्रि. (स्तु+कर्त्रर्थे ण्वुल् ) स्तुति ५२नार, सा કરનાર, વખાણ કરનાર.
Fire 'fea' 2105 gal. स्तिप् 'ष्टिप्' शब्द दुख. स्तिम् 'ष्टिम्' शब्द दुख. स्तिमित न (स्तिम् + भावे क्त) आर्द्रता, लीनाश, स्थिरपशु, स्थिरता- एषा प्रसन्नस्तिमितप्रवाहा सरित् ०घु० १३ । ४८ । ( त्रि. स्तिम् + कर्त्तरि क्त) लीनं, असंयम, स्थिर, स्थिरता. स्तिम्भि पुं. (स्तिम्+इन्-भुक्) वायु, समुद्र. स्तीम् 'ष्टीम्' धातु दुख.
स्तीर्वि पुं. (स्तृ + क्विन् न वेरित्वम्) खाडाश, अध्वर्युयाशिङ खेड गोर, पाशी, शत्रु, भेड भतनुं घास. स्तु 'ष्टु' धातु दुख.
स्तुच् 'ष्टुच्' धातु दुख.
स्तुत त्रि. (स्तु + क्त) स्तुति रेल, प्रशंसा रेल, वजाएरोस (न. स्तु+भावे क्त) स्तुतिर्भ, प्रशंसा.
स्तुति स्त्री. (स्तु+ क्तिन्) स्तुति स्तुतिः सिद्धिरिति ख्याता श्रियाः संश्रयणाश्च सा देवीपु० ४५ अ० । प्रशंसा, वजास.
स्तुतिपाठक, स्तुतिव्रत पुं. (स्तुतिं पठति, पठ् + ण्वुल्/ स्तुतिरेव व्रतमस्य) स्तुति भागनार, राभनी स्तुति ६२नार-भाट यारा वगेरे.
स्तुन्भू (क्रया. प. स. सेट् स्तुभ्नाति / स्वा. प. स. सेट्- स्तुभ्नोति ) रोडवु, खटाव.
स्तुत्य त्रि. (स्तु + क्यप्) स्तुति ४२वा साय, वजाशवा साय, प्रशंसाने योग्य.
स्तुत्यर्थवाद पुं. (स्तुत्या अर्थवादः) खेड प्रहारनो અર્થવાદ, એક જાતનું સ્તુતિવાક્ય.
स्तुनक, स्तुभ पुं. (स्तु+नकक् / स्तुन्भ् + मूल० क) जडरो, जोडडी.
स्तुनकी, स्तुभी स्त्री. (स्तु + नक- स्तुभ + स्त्रियां जाति. ङीष्) जरी.
स्तूप 'ष्टूप्' दुखो
स्तूप पुं. (स्तु पक् पृषो. स्तूप् +अच् वा ढगली रेल માટી વગેરે, કોઈ દેવ-દેવી ગુરુ વગેરેનાં પગલાં, समूह, जज, निष्प्रयोन.
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