Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 3
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
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२१४८ शब्दरत्नमहोदधिः।
[स्कु-स्तब्धीकृत स्कु, स्कुन्द् (क्रया. उभ. स. सेट-स्कुनाति-नीते/स्वा. | भविता करेणुपरिशेषिता मही-भामि० ११५३। .
उभ. स. सेट -स्कुनोति-ते/भ्वा. आ. स. सेट- तवाङ्कशायी परिवृत्तभाग्यया मया न दुष्टस्तनयः स्कन्दते) 6t२ १२वी, बहार आवं. हायसव. स्तनन्धयः- मा० १०।६। लोग, जोग, aisj, ६, ४.
स्तनन्धयी, स्तनपा स्त्री. (स्तनन्धय+स्त्रियां जाति. स्कुम्भ (सौ. प. स. सेट-स्कुभ्नाति) रोयु, 1.254j.. ___ ङीप्/स्तनप+ स्त्रियां टाप्) धाए 40.४ी. स्खद् (दिवा. आ. स. सेट-स्खद्यते) 3j, यार. स्तनभर पुं. (स्तनस्य भरः) स्तननी मार, भोट। स्तन. स्खल (भ्वा. प. स. सेट-स्खलति) याल, जसवं, स्तनमुख न., स्तनवृन्त पुं., स्तनशिखा स्त्री., स्तनाग्र
सपसj, उगम थj. -स्खलति चरणं भूमौ न्यस्तं न. (स्तनयोः मुखम्/स्तनस्य वृन्त इव/स्तनस्य शिखा/ न चार्द्रतमा मही-मृच्छ० ९।१३। यng, ५२, ८५.j, स्तनस्य अग्रम्) स्तननुहाटुं. भूद 3२वी.. -स्खालतो हि करालम्बः | स्तनयित्नु पुं. (स्तन+यित्नुच्) मेघ- किमव्यक्तेऽसि सुहत्सचिवचेष्टितम्-हितो० ३।१३४ । ७.४श्य. थाj, निनदे कुतस्त्येऽपि त्वमीद्दशी । स्तनयित्नोर्मयूरीव 423j. हो४२ जावी, प्रभा६ ४२वी, भूख २०4वी,
__चकितोत्कण्ठिता स्थिता-उत्तर० ३। भोथ. उमा थवा २५१ न. -वचनानि स्खलन्
स्तनान्तर न. (स्तनयोः अन्तरम्) २. स्तनोनी. वय्येनो पदे पदे-कुमा० ४।१२। -स्खलयति वचनं ते भाग-६६य, -बिभ्रत्या कौस्तुभन्यासं स्तनान्तरसंश्रयत्यङ्गमङ्गम्-मा० ३।८।।
विलम्बिनम्-रघु० १०।६२।। स्खलत् त्रि. (स्खल्+वर्तमाने शतृ) यातुं, परतुं,
स्तनाभोग पुं. (स्तनस्य आभोगः) स्तन परिपू९८ - प्रसतुं, 245तुं, तातडं बोलत. - वदनकमलकं
___५, स्तनना विस्तार. शिशोः स्मरामि स्खलदसमञ्जसमञ्जुजल्पितं ते
स्तनित न. (स्तन्+क्त) भेघनी ईन, मैथुननी श६. उत्तर० ४।४।
(त्रि. स्तन्+कर्तरि क्त) श६ ४२८, 30 ४३८, स्खलन न. (स्खल+भावे ल्युट) 23, ४२ जावी.
सवा ४३८. . -निजपाणिपल्लवस्खलनाद्-शिशु० ३।२१९ । व्यव
स्तनित, स्तनितकुमार पुं. (स्तनितश्चासौ कुमारश्च) ५.j, प्रमाद, मोदdi 12sj.
જૈનમતે એક દેવજાતિ. स्खलित त्रि. (स्खल्+क्त) 23, 85२ माघेस
स्तनितफल पुं. (स्तनिते मेघशब्दे फलति, फल्+अच्)
वित वृक्ष. हिमगिरिशिखरस्खलिता गङ्गेवैरावतं हरति -आर्यास० ६७२। य्यवेद, ५६, भूत ४३८, प्रमा६ 5रेस,
स्तन्भू (क्रया. प. स. सेट-स्तभ्नाति/स्वा. प. स. બોલતાં અટકેલ.
सेट- स्तभ्नोति) 0g, 242314, थंभाव..
स्तन्य न. (स्तने भवं, यत्) स्तन दूध, धावास्तक 'ष्टक्' धातु मो.
पिबस्तन्यं पोत ! -भामि० १।६०। -स नन्दिनीस्तन्यस्तम् 'ष्टग्' धातु, हुमो.
मन्दितात्मा-रघु० २।६९। - स्तन्यत्यागप्रभृतिसुमुखींस्तन् (चु. उ. स. सेट-स्तनयति-ते) भेघनी. सा४ |
दतपाचालिकेव' -'मालतीमाधवे। थवो, श०६ १२वी, ग२४..
स्तबक (पुं.) अछी. स्तन पुं. (स्तन्+अच्) स्त्रीनो स्तन, घाs. .'मध्ये
स्तब्ध त्रि. (स्तम्भ+क्त) स्त. थयेद, मेलश्यामः स्तन इव भुवः शेषविस्तारपाण्डुः मेघदूते
स्वयमुत्क्षिप्तकलसस्तब्धबाहुरभूत् तदा-कथासरित्० स्तनौ मांसग्रन्थी कनककलशावित्युपमितौ-भर्तृ० ३।२० ।
२०।९६। ४ ४३८, म23, 24251येस, रो... स्तनन न. (स्तन्+भावे ल्युट) मेघना मा४, ४२.
स्तब्धरोमन् पुं. (स्तब्धं रोमास्य) ( 3, २- मग्नमहीसा, म२४, मुरलीधी श्वास. सेवा. .
निस्तारे हरिः परं स्तब्धरोमाऽभूत्- आर्यास० ५।३२। स्तनन्धय, स्तनप पुं. (स्तनं धयति, धेट्+खश् मुम्
स्तब्धीकरण न. (स्तब्ध+च्चि+कृ+ल्युट) स्त०६ २, च/स्तनं पिबति, पा+क) . माण- असंशयं
रो, 254. प्राक् तनयोपपत्तेः स्तनन्धयप्रीतिमवाप्स्यसि त्वम्
स्तब्धीकृत त्रि. (स्तब्ध+च्चि+कृ+क्त) स्त.०५. थयेट, रघु० १४१७८। यदि बुध्यते हरिशिशुः स्तनन्धयो |
રોકેલ, અટકાવેલ.
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