Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 3
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad

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Page 453
________________ २०८८ शब्दरत्नमहोदधिः। [सहस्रदंष्ट्र-सहार सहस्रदंष्ट्र, सहसदंष्ट्रिन् पुं. (सहस्रं दंष्ट्रा यस्य/सहस्रं | सहसरश्मि, सहस्रांशु पुं. (सहस्रं रश्मयो यस्य/सहस्र___ दंष्ट्रा सन्त्यस्य) ४२ हाढीवाणु अ. भा.. । मंशवो यस्य) सूर्य, म1531ॐाउ. सहस्रदंष्ट्री स्त्री. (सहस्रदंष्ट्र+स्त्रियां जाति. ङीप्) 0.२ / सहस्रवीर्या स्त्री. (सहनं बहूनि वीर्याणि यस्याः) દાઢવાળી એક માછલી. ધ્રોખડ, મહાશતાવરી વનસ્પતિ. सहसदल. सहसनेत्र. सहसपत्र पं. (सहसं दलं यस्य/ | सहस्रवेध न. (सहस्रं बहवो वेधा यस्य) यसला सहस्राणि नेत्राणि यस्य/सहस्राणि पत्राणि यस्थ) छन्द्र. in 4.३. 12. २सन पीsi मे. तनी sieo. -क्रियाप्रबन्धादयमध्वराणामजनमाहूतसहस्रनेत्रः -रघु० | सहस्रवेधिन् न. (सहस्रं विध्यति, विध+णिनि) , ६।२३। सारस पक्षी. (न. सहस्रं च तत् दलं च) ५५मय यतुं नेत२. (त्रि.) २ने. वाचना२, ५५iने. शुभम -विलोलनेत्रम्नमरैर्गवाक्षा: सहस्रपत्राभरणा વીંધી નાખનાર. इवासन् -रघु० ७।११।। सहस्रशस् अव्य. (सहस्र+प्रकारे शस्) 31.२, मने.. सहस्रदली, सहस्रपत्री स्त्री. (सहस्रदल+स्त्रियां जाति० सहस्रा स्त्री. (सहस्रं बलानि सन्त्यस्याः, अच्+टाप्) ङीष्/सहस्रपत्र+ स्त्रियां जाति. ङीष्) स२४. पक्षिय.. અંબષ્ઠા નામે વનસ્પતિ. सहस्रधा स्त्री. (सहस्र+प्रकारे धाच्) २. अरे, अने. सहसराक्ष त्रि. (सहसमक्षीणि यस्य षच् समा०) २ ५३, घu ३. -दीर्ये किं सहस्रधाऽहमथवा नेत्रवाj. रामेण किं दुष्करम्-उत्तर० ६।४०। सहस्राक्षी स्त्री. (सहस्राक्ष+स्त्रियां जाति. ङीष्) धुवर सहस्रधारा स्त्री. (सहगुणिता धारा) ४२२0१0 १२, माहा. અનેક ધારા, ઘણાધાર. सहस्रार न. (सहनमाराः कोणाः यस्य) मस्त.भासुषु सहस्रनयन, सहस्रनेत्र, सहस्राक्ष पुं. (सहस्रं नयनानि નાડીની વચ્ચે આવેલું એક હજાર પાંખડીવાળું કમળ. यस्य/सहस्रं बहुसंख्यकानि नेत्राणि यस्य/सहस्रमक्षीणि सहसिन् पुं. (सहस्रं सैन्यानि सन्त्यस्य इनि) .रो.न. यस्य षच् समा.) न्द्र -केयं सहस्रनयनप्रेक्षणीया सैन्यवाणो २२%, २. हाढवाणु, भा७९. (त्रि. किमप्सराः । वनश्रीरथवापुष्पलग्नाग्रकरपल्लवा सहस्र+अस्त्यर्थे इनि) 1२ वाणु, रोवाणु. कथासरित्० १०१।२२७। धुव.७५क्षी, ५२मेश्वर. सहा स्त्री. (सहते, सह + अच्+टाप्) आदी ममे. सहस्रनयनी स्त्री. (सहस्रनयन+स्त्रियां जाति० ङीष्) જાતની કુંવાર, પૃથ્વી, રાસ્ના વનસ્પતિ, સોનામુખી, નખભેદ નામે ઔષધિ, સાપનું ઝેર ઉતારનારી ઘુવડ માદા. એક વનસ્પતિ, નારીપુષ્પી, ધોળી ઝીંઝ.ટી. सहस्रपाद् पुं. (सहस्रं बहवः पादाः यस्य अन्तलोपः सहाचर पुं. (सहा शुक्लझिण्टीव आचरति, आ+ समा.) विष्ण, ५२मेश्व२. -सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः चर्+अच्) पाणी जी.टी.. सहस्रपात्-पुरुषसूक्तम् । सहाय त्रि. (सह एति, इण्+ अच्) साय.3, म६६२४२, सहस्रपाद पुं. (सहस्रं पादाः किरणाश्चरणा वा सन्त्यस्य सोबती, पोताने मनुष. -आत्मनैव सहायेन सुखार्थी अच्) विष्ण, सूर्य, भानु , 34. पक्षी.. विचरेदिह-मनु० ६।४९। सहस्रपादी स्त्री. (सहस्रपाद+स्त्रियां ङीष्) 14. पक्षिय... सहायता त्रि. सहायत्व न. (सहायस्य भावः तल्+टापसहस्रबाहु, सहसभुज पुं. (सहस्रं बाहवो यस्य/सहस्रं त्व) साय५५, भ६६. -स किल संयुगमूनि बाहवो भुजा यस्य) तवाय-सहस्त्रार्जुन, मासु२, सहायताम्-रघु० ९।१९। अङ्गीचक्र सहायत्वं राजा वि, ५२मेश्व२. सहस्रबाहुर्वाद्येन ताण्डवे तोषयेन्मृडम् तस्यारिमर्दने-कथासरित्० ३०८७। सहायनो समुहाय, - भाग० १०६२।२।। भ६६२ थ, सोबत, संगत. सहसभुजा स्त्री. (सहस्रं बहवो भुजा यस्याः) सक्ष्मीदेवी.. सहायवत् त्रि. (सहाय+अस्त्यर्थे मतुप मस्य वः) सहस्रमूर्द्धन, सहस्रशीर्षन् पुं. (सहनं मूर्धानो यस्य/ सहायवाणु, महवाणु, सोजतवाणु. सहनं शीर्षाणि यस्य) विष्णु, ५२मेश्व२. सहार पुं. (सह एकदैव ऋच्छति दूरं गच्छति सौरभेण सहस्रमूली स्त्री. (सहस्रं मूलानि यस्याः डीप्) . ऋ+अच्) मलान , महासय, मोटो संडार. तनो वता- 'द्रवन्ती' (त्रि. हारेण सहितः सहस्य सः) डारवाणु, २स.डित. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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