Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 3
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad

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Page 443
________________ २०७८ शब्दरत्नमहोदधिः। [सरोजन्मन्-सर्पभुज् सरोजन्मन् त्रि. (सरसि जन्म यस्य) ulvi 64न | सर्पकङ्काली, सर्पगन्धा, सर्पधातिनी स्री., सर्पघातिन् થનાર, સરોવર-તળાવ વગેરેમાં ઉત્પન્ન થયેલ. सर्पस्येव कङ्कालमङ्गविशेषो यस्याः गौरा० ङीष्/सर्प सरोवर पुं. (सरःसु वरः श्रेष्ठः पद्माकरत्वात्) सरोवर, तद्विषं गन्धयति हिनस्ति, गन्ध+ अण्+टाप्) सपना तसा. ऊरनो नाश ४२नारी मे. वेल. (त्रि. सर्प तद्विषं सरोष त्रि. (रोषेण सह वर्तमानः सहस्य सः) ओघवाणु, हन्ति, हन्+णिनि घातादेशः) सपना न॥२४२८२. ગુસ્સા સહિત, ગુસ્સે થયેલું. (स्त्री. सर्प तद्विषं हन्ति, हन्+णिनि ङीप् घातादेशः) सर्क पुं. (सृ+उणा० क) वायु, मन, प्रपति. સર્પના ઝેરનો નાશ કરનારી એક વેલ. सर्ग पुं. (सृज्+घञ्) स्वभाव, सृष्टि- ‘अस्या सर्गविधौ सर्पण न. (स्प+भावे ल्युट) स२७g, स, ४, प्रजापतिरभूच्चन्द्रो नु कान्तिप्रदः' -विक्रमोर्वशीये १।९। વક્રગતિ, બાણની ભૂમિના સરખા અંતરનું ઊડવું તે. निश्चय, निमोह, अव्यव३नो भाग, मोक्ष, संस्५, सर्पत् त्रि. (सृप्+वर्तमाने शतृ) स२४तुं, मसतुं, तुं. Greus. -गृहाण शस्त्रं यदि सर्ग एष ते-रघु० ३।५१ । सर्पतॄण पुं. (सर्प तृणमिव यस्य) नाणियो. अनुमति, उसात, साड. सर्पतॄणी स्त्री. (सर्पतॄण+स्त्रियां जाति० ङीष्) नोणियए. सर्गबन्ध पुं. (बन्ध+ भावे घञ्, सगैबन्धः) स[.. सर्पदंष्ट्र पुं. (सर्पस्य दंष्ट्रेव पुष्यं यस्य) सपना विषमयो wiusny HSL5102. -'सर्गबन्धो महाकाव्यमुच्यते દાંત, નાગદત્તી વૃક્ષ-જેનો સ્પર્શ કરતાં સપની દાઢને तस्य लक्षणम् । आशीर्नमस्क्रिया वस्तुनिर्देशो वापि સ્પર્શ કરવા જેવું દુઃખ થાય તે. तन्मुखम् ।।' सर्पदंष्ट्रा स्री. (सर्पस्य दंष्ट्रा) सपना.Ed, वृश्चि.ली. सर्ज (भ्वा. प. स. सेट-सर्जति) ud. ४२j, भगवj, नामे सता. ઉપાર્જન કરવું. सर्पदंष्ट्रिका स्त्री. (सर्प+दंष्ट्रा+ठन्+टाप्) वनस्पति सर्ज, सर्जक पुं. (सृज्+अच्/सर्ज स्वार्थे कन्) मनु । मेंशी0.. मार, दम, पित्तर. वृक्ष. सर्पदण्डी स्त्री. (सर्प तद्विषं दण्डयति, दण्ड्+ सर्जगन्धा स्त्री. (सर्जस्येव गन्धो यस्याः) राना वनस्पति. सर्जन न. (सृज्+भावे ल्युट) सृष्टि, सैन्यनो ५॥ ___ अण्+डीए) गो२६०. वृक्ष. सर्पदन्ती, सर्पपुष्पी स्त्री. (सर्पस्य दन्त इव पुष्पमस्त्यस्याः मागी. सर्जनिर्यास, सर्जनिर्यासक पुं. (सर्जस्य निर्यासः। अच्+गौरा० ङीष्/सर्प सर्पदन्त इव पुष्पमस्याः) सर्जस्य निर्यास इव कायति कै +क) साख वृक्षनी નાગદન્તી વૃક્ષ-વનસ્પતિ. २स-साम. सर्पदमनी स्री. (सर्पान् दमयति अनया, दम्+णिच्+ सर्जमणि, सर्जरस पुं. (सर्जस्य शालवृक्षस्य मणिरिव/ ल्युट + ङीप्) वन्ध्या वनस्पति. सर्जस्य रसः) साल वृक्षनो २स-सान सर्पनामा स्त्री. (सर्पस्य नामात्र वाचकशब्दे) सपना सर्जि, सर्जिका, सर्जी स्त्री. (सृज+इन् वा डीप्/ ઝેરનો નાશ કરનારી એક વનસ્પતિ. सृज्+ण्वुल+टाप् अत इत्वम्/सृज्+इन्+वा ङीप्) सर्पफणज, सर्पमणि पुं. (सर्पस्य फणे जायते, जन्+ड/ ते. नामे में नही, सामा२. -'सर्जिकाल्पगुणा सर्पस्य मणिः) सनी ३५॥ 6५.२ 6यन यतो में तस्माद्विशेषाद् गुल्मशूलहत् । सर्चिका सर्जिकावद् भलि. बोद्धव्या गुणतो जनैः' -भावप्रकाशे. सर्पभुज्, सर्परिपु, सर्पवैरिन्, सर्पशत्रु, सर्पहन्, सर्जिकाक्षार पुं. (सर्जिकायाः क्षारः) सा७५.२. सर्पहन्त, सर्पादन, साराति, सारि, साशन सर्जु पुं. (सृज्+उन्) वेपारी, वायो. पुं. (सर्प भुङ्क, भुज+क्विप्/सर्पाणां रिपुः/सर्पस्य सर्जू स्त्री. (सृज्+ऊ) वीजी., २, मन, अनुस२४८. वैरी/सर्पस्य शत्रुः/सर्प हन्ति, हन्+ क्विप्/सप॑ हन्ति, सर्य पुं. (सर्जस्येदं यत्) सर्जनिर्यास २०६ मी.. हन्+क्विप्/सर्प अत्ति, अद्+ ल्यु/सर्पस्य अरातिः। सर्प पुं. (सृप्+अच्) नासर, स.५, सप, भाषा सर्पस्य अरिः/सर्पमश्नाति अश+भावे ल्युट) भो२५क्षी, नक्षत्र, मन, गति, ४ ते. सा२१. ५क्षी, २७ ५क्षी, नोणियो, १४१२. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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