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free ft हेतु सिद्ध और विरुद्ध हैं अभ्रान्त प्रत्यक्ष से बाह्य अर्थकी सिद्धि
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सत्यशासन-परीक्षा
विज्ञानाद्वैत इष्ट-विरुद्ध है
अनुमान द्वारा बाह्य की सिद्धि
साधन -दूषण प्रयोगहेतु द्वारा विज्ञानाद्वैत-खण्डन
चित्राद्वैतशासन-परीक्षा
चार्वाक शासन-परीक्षा
चित्राद्वैतशासन में भी बाह्य अर्थका अपह्नव
विज्ञानirat तरह चित्राद्वैत मी प्रत्यक्ष तथा अनुमान विरुद्ध
[ पूर्वपक्ष ] सर्वज्ञका श्रमाव
आगम और अनुमानका अभाव
बृहस्पति प्रतिपादित चार भूत चार भूतों के योग से चैतन्यकी उत्पत्ति
मरणके उपरान्त और जन्मसे पूर्व आत्माका अभाव
परलोकका अभाव
जीवनका उद्देश्य
[ उत्तरपक्ष ] चार्वाक मत प्रत्यक्ष - विरुद्ध
प्रत्यक्ष से पृथ्वी आदिके उपादानोपादेयभाव की प्रतीति
स्वसंवेदन प्रत्यक्ष से जीवकी सिद्धि
मोव जोवका असाधारण धर्म है।
चेतन शरीर मोक्ता नहीं
आत्मा अनादि अनन्त तथा पृथिव्यादिसे सर्वथा विलक्षण है
चार्वाकशासन इष्ट विरुद्ध भी है
प्रतिषेध-द्वारा जीवसिद्धि
गौण कल्पना द्वारा जीवसिद्धि
शुद्ध पदकी अपेक्षा जीवसिद्धि
शिष्टसम्मति तथा आगमोति द्वारा जीवसिद्धि
भूत और चैतन्य दोनों भिन्न प्रमाणग्राही हैं।
प्रत्यभिज्ञान और पूर्वानुभवकी सिद्धि पुण्य-पाप और परलोककी सिद्धि सर्वज्ञसिद्धि
प्रत्यक्ष द्वारा सर्वज्ञ निषेध असम्भव अनुमान द्वारा सर्वज्ञ निषेध असम्भव
बाधकके अभाव में सर्वज्ञकी सिद्धि
बौद्धशासन-परीक्षा
[ पूर्वपक्ष ] रूप आदि पञ्च स्कन्ध सविकल्पक ज्ञान
निर्विकल्पक ज्ञान
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