Book Title: Satyashasan Pariksha
Author(s): Vidyanandi Acharya, Gokulchandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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सत्यशासन-परीक्षा
[ शब्दाद्वैतशासनपरीक्षा ]
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$ ४२ तदेतेन शब्दाद्वैतमपि निरस्तम्, पुरुषाद्वैतवत्तस्यापि ' निगदितदोषविषयत्वसिद्धेः । प्रक्रियामात्र भेदात्तदव्यवस्थानुपपत्तेः, स्वपक्षेतरसाधकबाधकप्रमाणाभावाविशेषात् स्वतः सिद्धययोगाद्गत्यन्तराभावाच्चेत्यलमतिप्रसंगिन्या कथया । सर्वथैवाद्वैतस्य दृष्टेष्टविरुद्धत्वेना सत्यत्वस्य व्यवस्थितत्वात् ।
ब्रह्मविद्या प्रमापायात् सर्वं वेदान्तिनां वचः । भवेत्प्रलापमानत्वान्नावधेयं विपश्चिताम् ॥ ब्रह्माद्वैतमतं सत्यं न दृष्टेष्टविरोधत: । न च तेन प्रतिक्षेपः स्याद्वादस्येति निश्चितम् ॥ [ इति शब्दाद्वैतशासनपरीक्षा ]
1. द्वैतत्तस्यापि ख० ।
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