Book Title: Satyashasan Pariksha
Author(s): Vidyanandi Acharya, Gokulchandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 151
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिशिष्ट ३ तर्क ४४ ताथागत २४।२३,२७१२० तार्किक ४२०२६,४३१५ [ए] एकान्त १।१२,२०,६।३,७९ [औ] औलूक्य ३५।२४,४३।५ [क] कपिल १५।५,३११७,८,१२ कर्म ३४१५ कापालिक १६२ कापिल ३३१३ क्रिया २२॥२१,४४७ कूटस्थ २७।२७ कुम्भकार ३१७ [ख] खरविषाण ८१२,४६।११,४७११९ [ग] गगन १११२० गन्ध २०१३ गौणकल्पन १७।१६ गुण २२।२१,३४१५,४४।७ द्रव्य २२१२१,३४।५,८,४४७,९ दृष्टान्त ६।१७,४२१४ दृष्टादृष्टार्थ प्रपञ्च ९।२ द्वैताद्वैत १।११,१३ द्वैतप्रपञ्च ६।२ द्वैतसिद्धि ५।२८,६।२३,७।११ [न] नर्तको १६॥३,७ निर्णय ४४ निर्बाधलक्षण १७।१७ निग्रह ४२१५ निर्विकल्पक २०५,९,२८।१८ निरास्त्रव २९६९ निरीश्वर सांख्य ३०॥२४,३२।१६ निरीश्वरशासन १।१० निःश्रेयस ४२१५,४२।२४,४४।१३ नैयायिक ४२॥३,४३११,६,१३ नैयायिक-शासन १।१०,४२११ [च] [प] चन्द्रकान्त १६९,१४,१५ चन्द्रमरीचिजाल ७१२५ चार्वाक १६।११,१७।१२,१९।१४,१६,१८ चार्वाक-शासन १।९,१५।१,३ चित्राद्वैत-शासन १।९,१४।१२,१३,२१ [छ]] छल ४२१५ जल्प ४२१४ जल १६।१५ जलपुद्गल विचार ७।२६ जाति २२१२१,२२,२३,४२१५,४४७ [ड] डिण्डिम १६१८ [त] तत्त्वोपप्लव ७/१८,८१६ तत्त्वोपप्लव-शासन१।१० तत्त्वज्ञान ४२१५ प्रत्यवाय ४४।१८,४५१३," प्रत्यक्ष १।१६ प्रतिपाद्य १४७ प्रतिपादक १४७ प्रतिभास ५/१२,१३,१४,१६,१७,६।१७,१८,१११५, १३१५ प्रतिषेध १७११६ प्रत्यभिज्ञान १८७ प्रमा १५६५ प्रमाण ४२१४ प्रमेय ४२१४ प्रपञ्चाध्यवसाय २१९ प्रयोजन ४२४ प्रशस्तपाद ३६।२८ पञ्चशिखी १६२ For Private And Personal Use Only

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