Book Title: Samyag Darshan Part 02
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
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सम्यग्दर्शन : भाग-2]
इन सात तत्त्वों को जानकर, आत्मा का विश्वास और आदर करना चाहिए। बहुत विवेक से, बहुत सत्समागम से, बहुत पात्रता से और बहुत रुचि से आत्मा समझ में आता है। आत्मा ऐसा नहीं कि समझ में नहीं आये। यदि आत्मा न समझा जा सके, तब तो धर्म ही कहाँ से होगा? इस जगत् में लाखों रुपये मिलें या स्वर्ग मिले, वह दुर्लभ नहीं है; आत्मा की समझ ही दुर्लभ है। इस मानव जीवन में ऐसे आत्मा की समझ करनेयोग्य है। ___वन-जंगल में बसनेवाले और चैतन्य को साधनेवाले मुनिवरों के अन्तर में से आनन्द में झूलते-झूलते ऐसे रणकार उठे कि इस आत्मस्वभाव की महिमा जगत में जयवन्त वर्गों और जगत के जीव उसे पहचानो। जगत् के जीवों को यह एक चैतन्यतत्त्व ही शरणरूप है।
Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.