Book Title: Samvayang Sutram
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 229
________________ श्रीसमवायाङ्ग श्रीअभय० वृत्तियुतम् // 201 // सूत्रम् 142 द्वादशाङ्गम् उपासकदशा संकिंतं उवासगदसाओ?, उवासगदसासुणं उवासयाणंणगराई उजाणाइंचेइआईवणखंडारायाणो अम्मापियरोसमोसरणाई धम्मायरिया धम्मकहाओइहलोइयपरलोइयइड्डिविसेसा उवासयाणंसीलव्वयवेरमणगुणपच्चक्खाणपोसहोववासपडिवज्जणयाओ सुयपरिग्गहा तवोवहाणा पडिमाओ उवसग्गा संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाइं पाओवगमणाई देवलोगगमणाइंसुकुलपञ्चायाया पुणो बोहिलाभा अंतकिरियाओ आघविखंति,उवासगदसासुणंउवासयाणं रिद्धिविसेसा परिसा वित्थरधम्मसवणाणि बोहिलाभअभिगमसम्मत्तविसुद्धया थिरत्तं मूलगुणउत्तरगुणाइयारा ठिईविसेसाय बहुविसेसा पडिमाभिग्गहग्गहणपालणा उवसग्गाहियासणा णिरुवसग्गा य तवा य चित्ता सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासा अपच्छिममारणंतियायसंलेहणाझोसणाहिं अप्पाणं जह य भावइत्ता बहूणि भत्ताणि अणसणाए य छेअइत्ता उववण्णा कप्पवरविमाणुत्तमेसुजह अणुभवंति सुरवरविमाणवरपोंडरीएसु सोक्खाई अणोवमाईकमेण भुत्तूण उत्तमाईतओ आउक्खएणंच्या समाणा जह जिणमयम्मि बोहिं लभ्रूण य संजमुत्तमं तमरयोघविप्पमुक्का उतिजह अक्खयंसव्वदुक्खमोक्खं, एते अन्ने य एवमाइअत्था वित्थरेण य, उवासयदसासुणंपरित्ता वायणा संखेजा अणुओगदारा जाव संखेजाओ संगहणीओ, से णं अंगट्ठयाए सत्तमे अंगे एगे सुयक्खंधे दस अज्झयणा दस उद्देसणकाला दस समुद्देसणकाला संखेजाइं पयसयसहस्साइं पयग्गेणं प० संखेजाई अक्खराइंजाव एवं चरणकरणपरूवणया आधविखंति, सेतं उवासगदसाओ॥७॥॥सूत्रम् 142 // से किंत मित्यादि अथ कास्ता उपासकदशाः?, उपासका: श्रावकास्तद्गतक्रियाकलापप्रतिबद्धा दशा:- दशाध्ययनोपलक्षिता उपासकदशाः तथा चाह- उपासकदसासु णं उपासकानां नगराणि उद्यानानि चैत्यानि वनखण्डा राजानः अम्बापितरौ समवसरणानि धर्माचार्या धर्मकथा ऐहलौकिकपारलौकिका ऋद्धिविशेषा उपासकानां च शीलव्रतविरमणगुणप्रत्याख्यानपौषधोपवासप्रतिपदनताः,

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